Book Title: Anusandhan 1997 00 SrNo 08
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 137
________________ [132] दसमी विश्व संस्कृत परिषदमां जैन विभागमां रजू थयेल निबंधो बेंगलोरमां ता. ३-९ जान्युआरी १९९७ना दिवसोमां भरायेली दसमी विश्व संस्कृत परिषदमां रजू थयेला निबंधोनो सार प्रा. विजय पंड्याना सौजन्यथी मने जोवा मळ्यो. तेमां जैन अध्ययनोना विभागमा जे निबंधो रजू थया हता तेमना ढूंक परिचय अहीं आपुंछु। १. 'दशवैकालिक नियुक्ति'नुं संपादन (अरुणा आनंद, दिल्ही विश्वविद्यालय)। आठ हस्तप्रतोने आधारे लेखिकाए संपादनकार्य हाथ धर्यु छे. तेमांथी उद्भवता केटलाक प्रश्नोनी निबंधमां चर्चा करी छ। 'भगवती-अवचूरि'नो परिचय (बंसीधर भट्ट, भावनगर)। । १९७४मां पोथीरूपे प्रकाशित भगवती-अवचूरी' नु विषय-पृथक्करण अने अभयदेवसूरिनी वृत्ति साथे तेनो संबंध । भर्तृहरिनाशब्दार्थवादनुप्रभाचन्दे 'प्रमेयकमलमार्तंड' अने 'न्यायकुमुदचंद्र'मां करेलुं खंडन (दामोदर शास्त्री, राजीव गांधी केन्द्रीय संस्कृत विद्यापीठ, शृंगेरी)। जैन साहित्यनी सर्वस्पर्शी संदर्भसूचि तैयार करवानुं महत्त्व (रोयटा वायल्स, ओस्ट्रेलियन नेशनल विश्वविद्यालय, केनबेरा). २. भान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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