Book Title: Anusandhan 1997 00 SrNo 08
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 121
________________ [116] नीचे आप्या छे. ठेस, 'ठोकर, ठेवू', ठेशी ‘अटकण' पण आ ज कुळनो छे. जुओ टर्नर क्रमांक ५५११ नीचे. १३. थपथपी, थापडी, थपाट वगेरे . थप थप, थपथपी, थपकQ, थापी, थापडी, थप्पड, थपाट, थप्पो, थपती, थपेली, थपोलुं, थपोडुं वगेरेनो संबंध खानुकारी थप्प साथे छे. अन्य भारतीय-आर्य भाषाओना सहजन्य शब्दो माटे जुओ टर्नर, क्रमांक ६०९१ (थप्प्) नीचे. थेपर्बु, थेप, थेपलुं वगेरे माटे थेप्प एवं मूळ शब्दरूप स्वीकार, पडशे. थप्पी, थापो थापोडो, थपरडो/थपेडो, थापण एनो संबंध सं. स्थाप्यते, प्रा. थप्पड़, गुजराती थापq साथे छे. १४. नकळंक कल्कि अवतारना ‘कल्कि'नुं सरळ उच्चारण 'कलक्की'. 'चोलुक्य'> 'चोलुक्किय'>'सोलुक्किय'>'सोलंकी'; 'चालुक्य'>साळुके; 'वालुक्की'/ 'वालुंकी'- काकडी-ऐसे परिवर्तन के अनुसार 'कलक्की' 'कलंकी'. . 'कलंकी'नो कलंकवाळु अर्थ निवारवा 'अकलंकी' 'नकलंकी', 'अकळंक', 'नकळंक'. १५. पोपट, पोपचुं वगेरे पोपुं, पोपचुं, पोपट, पोपटो, पोपडो ए शब्दो एक ज मूळना होवार्नु जणाय छे. पोप्प 'कशुक उपसेली गोळाकार सपाटीवाळु अने अंदरखाने अवकाशवाळु' एवं मूळभूत शब्दरूप स्वीकारीने आपणे चालीए. पोपुं, पोपलुं, पोपा-वाई एमां 'पोचट होवू' एवो जे अर्थ कोशो आपे छे, तेमां मूळे तो 'पोलुं होवू' एवो अर्थ होवानो संभव छे. टर्नर क्रमांक ८४०५ नीचे मूळ शब्दरूप तरीके आपेल पोप्पनो 'पोलुं' अर्थ आप्यो छे अने पंजाबी, हिन्दी पोपला 'बोर्खा' ऊडिया 'पोपरा 'पोलुं', गुजराती पोपडो, पोपचुं, पोपटो अने पोपलां नोंध्या छे. आ साथे ते ज अर्थनो फोप्फ अने तेमांथी निष्पन्न शब्दो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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