Book Title: Angsuttani Part 03 - Nayadhammakahao Uvasagdasao Antgaddasao Anuttaraovavai Panhavagarnaim Vivagsuya
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 874
________________ परिशिष्ट-१ संक्षिप्त-पाठ, पूर्त-स्थल और पूर्ति आधार-स्थल नायाधम्मकहाओ संक्षिप्त-पाठ पूर्त-स्थल पूर्ति आधार-स्थल अंतिए जाव पव्वयामि २।११२५ ११।१०१ अंतेउरे य जाव अज्झोववण्णे १।१६।४१ १।१६।२८ अगडे वा जाव सागरे ११८१५४ ११८।१५४ अग्गिसामण्णे जाव मच्चुसामण्णे १११११११ १।१।१११ अग्घेणं जाव आसणेणं १।१६।१६७ १।१६।१८६ अच्चणिज्जे जाव पज्जुवासणिज्जे ११२७६ ओ० सू०२ अज्जग जाव परिभाएत्तए शक्षा५ १।१।११० अज्जाओ तहेव भणंति तहेव साविया जाया तहेव चिंता तहेव सागरदत्तं आपुच्छति । १।१६।६८-१०४ १।१४।४४-५० अज्झथिए ११८७६ ११११४८ अज्झत्थिए किमण्णे जाव वियंभइ १।१६।२७२ १।१६।२७२ अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था १।११५३,५६,१५४,१५५,१६६,२०४,२०५; १।२।१२,७१,११५।११८,१२४;११७२५; १।१६।११८,२८५२।११३८ अज्झत्थिय जाव जाणित्ता १।१६।२८६ ११११४८ अट्टदुहट्टवसट्टमाणसगए जाव रयणि शश१५५ १।१४१५४ अट्टमस्स उक्खेवओ एवं खलु जंबू जाव चत्तारि २।८।१,२ २।२।१,२ अट्ठाई जाव नो वागरेइ ११५२६६ ११५६६ अट्ठाई जाव वागरेइ ११५२६६ ११५।६६ अढाहियं महानंदीसरं जामेव दिसं पाउ जाव पडिगए १८२२६ ११८।२२४ अड्डा जाव अपरिभूया ११५७ ओ० सू० १४१ अड्डा जाव भत्तपाणा ११३८ ओ० सू० १४१ १।१४८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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