Book Title: Angsuttani Part 03 - Nayadhammakahao Uvasagdasao Antgaddasao Anuttaraovavai Panhavagarnaim Vivagsuya
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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२५
११३७
समाणा जाव चिट्ठति
१।१५।१०
१।१५।६ समाणी जाव विहरित्तए
१।२।१७
१।२।१७ समोवइए जाव निसीइत्ता
१।१६।२२७,२२८
१।१६।१६७,१६८ समोसरणं
११५८५
११।४ सम्मज्जिओवलित्तं जाव सुगंधवरगंधियं २११३३
'११११२२ सम्मज्जिओवलित्तं सुगंध जाव कलियं श३६
१३१२२२ सम्माणेइ जाव पडिविसज्जेइ
१।१६।३००
१।१४।१६ सयमेव० आयार जाव धम्ममाइक्खइ १।१।१५०
१११।१४६ सरिसगं जाव गुणोववेयं
१।८।१२०
१८.४१ सरिसियाओ जाव समणस्स पव्वइस्ससि १।१।१०६
१११११०८ सव्वओ जाव करेमाणा
१।१६।२३
१।१६।२३ सव्वं तं चेव आभरणं
१॥५॥३०-३२
१११।१४५-१४७ सव्वज्जुईए जाव निग्घोसनाइयरवेणं
ओ० स० ६७ सव्वट्ठाणेसु जाव रज्जधुराचिंतए
१।१४।५६
१।१४।५६;१११११६ सहइ जाव अहियासेइ
१।११।३
१।१११५ सहजायया जाव समेच्चा
१।८।१०,११
११३।६,७ सहियाणं जाव पुव्वरत्ता
१।५।११८ साइमं जाव परिभाएमाणी
१।१६।६३
१।१६।६२ सामदंड०
१०८।४५,१।१४।४
१।१।१६ सालइएणं जाव नेहावगाढेणं
१।१६।२५,२६
१।१६।८ सालइयं जाव आहारेसि
१।१६।१६
१।१६।१६ सालइयं जाव गोवेइ .
१।१६।८
१।१६।८ सालइयं जाव नेहावगाढं
१।१६।१६,१६,२०
१।१६।८ सालइयस्स जाव नेहावगाढस्स
१।१६।२२
१।१६।८ सालइयस्स जाव एगमि
१।१६।१६
१।१६।१६ साहरह जाव ओलयंति
१।८।२
शक्षा४८ सिंगारा जाव कुसला
१।१।१३६
११।१३४ सिंगारागारचारूवेसाओ जाव कूसलाओ १।१।१३५
१११११३४ सिंघाडग०
११५०५३
११०३३ सिंघाडग जाव पहेसु १।३।३३;१।१३।२६१।१६।१५३;१।१८।१६
११३३ सिंघाडग जाव बहुजणो
११७४४११।८।२००,१।१३।२६ ११५१५३ सिंघाडग जाव महया
११११९५
ओ० सू० ५२ सिक्खावइए जाव पडिवण्ण
उवा० ११४५ सिज्झिहिइ जाव मंत
१।१५।२१
१।१।२१२
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