Book Title: Angsuttani Part 03 - Nayadhammakahao Uvasagdasao Antgaddasao Anuttaraovavai Panhavagarnaim Vivagsuya
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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मित्त जाव परिवुडा
मित्त जाव परिबुडाओ मित्त जाय परिवुडे मिस जाव महिलाओ
मित्त जावसद्धि
मिल जान सद्धि
मियादेवी जाव पडिजागरमाणी
मुंडा जाव पव्वयंति
च
रट्ठे य जाव अंतेउरे
राईसर जाव नो खलु अहं
राईसर जाव पभियओ राईसर जाव प्यभियओ
राईसर जाव सत्यवाह० राईसर जाव सत्यवाहाण राईसर जाव सत्यवाहेहि राया जाव जीईवयमाणे
वेणुयाहि य जाव वायरासीहि संगयगय०
सणाहाण य जाव वसभाण सणद्ध जाव पहरणे
सणद्धबद्ध जाव पहरणेहि
सण्णद्धबद्ध जाव प्पहरणा० सत्येहिय जाव नहच्छेयणेहि
समणे जाव विहर
समाणे सिपाडा तहेव जाव सुदरिसणाए
समुप्पण्णे जाव तहेब निग्गए
सागरोवम०
सिधाम जाब एवं
सिंघाडग जान पहेसु
सुंदरथण
सुबह जाव समज्जिणित्ता
सुबाहुकुमारे जाव अलंभोगस मत्थं तुहियवा
हम जाव पडिसेहिए
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४७
१।२।५४
१।७/२३
१।३।५५
१।७।२६
१७/२३
१६/४५
१।१।२६
२।१।३१
१।१।५७
१।१।५७
२।१।१३
१/२/७२
१।१०१७
१।५।२२,२३
११११५०
१६/५७
१।६।३७
१।६।२३
१।२/७
१।२।२४
१।२।२५
१।३१४७
१।३।२४
१।६।२३
१।१।२०
१।४।२२-२४
१।३।१५
१ १/७० १।१०।१३
१/२/५७३१।८।२१:२।१।२३
१।८।१३१।९१२१:१।१०।०
१।२/७
२।१।१०,११
१।१।२९
१।३।५०
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१।२।३७
१०७/१९
११२।३७
१०७ १९
१७१६
११२।३७
१।१।१५
२।१।१३
१०१।५७
वृत्ति
वृत्ति
११११५०
११११५०
१।१।५०
ओ०सू० ५२
१1१/५०
१/६/३६
१।६।१६
वृत्ति
१।२।२०
१।२।१४
१।२।१४
१।२।१४
१।६।२२
ना० ११११६७ १।२।५७-५१
१।२।१५
१।१।५७
१।१।५३
१।१।५३
वृत्ति
१४१।५१
ओ०सू० १४८, १४९
ओ०सू० २०
१०३२४९
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