Book Title: Angsuttani Part 03 - Nayadhammakahao Uvasagdasao Antgaddasao Anuttaraovavai Panhavagarnaim Vivagsuya
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 912
________________ ८.३३ ११२१ ४७ ३।२१ ५।३१ ५।३१ २२५ ३।२० .३।३ ११५,६ ६।१,२ ८।१७,१८ ११५,६ ७१३ ११७ ७।१,२ ३।१ ८।१६ २१,२ ११५,६ ११५ १७ चउत्थ जाव भावेमाणी चउत्थ जाव भावेमाणे चउत्थस्स वग्गस्स निक्खेवग्रो छटुंछट्टेणं जाव विहरंति जइ उक्खेवओ अट्ठमस्स जइ छट्ठस्स उक्खेवओ नवरं सोलस जइ णं भंते अट्ठमस्स वग्गस्स उक्खेवओ जाव दस जइ णं भंते तेरस जइ णं भंते सत्तमस्स वग्गस्स उक्खेवओ जाव तेरस जइ तच्चस्स उक्खेवओ जइ दस जइ दोच्चस्स वग्गस्स उक्खेवओ जहा अभओ नवरं हरिणेगमेसिस्स अट्ठमभत्तं पगेण्हइ जाव अंजलि जहा गोयम सामी तहा पडिदसेइ जहा गोयमो जाव इच्छामो जावज्जीवाए जाव विहरइ जाव संलेहणाकालं बहाए जाब विभूसिए ण्हाया जाव पायच्छित्ता तं महा जहा गोयमे तहा तीसे य धम्मकहा तीसे य धम्मकहा देहं जाव किलंत धारिणी सीहं सुमिणे नमसामि जाव पज्जुवासामि नयरीए जाव अडित्तए नवमस्स उक्खेवओ निग्गया जाव पडिगया निक्खमणं जहा महब्बलस्स जाव तमाणाए तहा जाव संजमइ ३१४७-४६ ६५७ ३।२२ ६१५३ ८.३६ ३।४४ ना०११११५३-५८ भ०२।११० भ० २।१०७ ६।५३ ८.१५ ओ० सू० ७० ओ० सू० २० १।१६,२० राय० सू० ६६३ ना० १११११०० वृत्ति १।१७ ओ० सू० ५२ भ० २।१०७ ३३१३ ३१६२ ६१५०,८८ ३६५ ३।११६ ६।३५ ३।२२ ३।११२ ११२ ना० ११११५ ३७८-८५ भ०११११६८,ना०।१।११५-१५१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 910 911 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922