Book Title: Angsuttani Part 03 - Nayadhammakahao Uvasagdasao Antgaddasao Anuttaraovavai Panhavagarnaim Vivagsuya
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 882
________________ करयलपरिग्गहियं जाव कटु करयलपरिग्गहियं जाव वद्धावेत्ता करयल वद्धावेइ करयल वद्धावेत्ता करयल वद्धावेत्ता करेइ जाव अडमाणीओ करेंति जाव पच्चुत्तरंति करेत्ता जाव विगयसोया करेमो तं चेव जाव णूमेमो करेह करेत्ता जाव पच्चप्पिणह करेह जाव पच्चप्पिणति कल्लं कल्लं जाव विहरइ कसप्पहारे य जाव निवाएमाणा कसप्पहारेहि य जाव तण्हाए कसप्पहारेहि य जाव लयाप्पहारेहि कारणेसु य जाव तहा कालगए जाव प्पहीणे कालोभासे जाव वेयणं कासे जोणिसूले जाव कोढे किण्हाण य जाव सुक्किलाण किण्हाणि य जाव सुक्किलाणि किण्होभासा जाव निउरंबभूया कुंभए एवं तं चेव जाव पवेसेइ रोहासज्जे कुडवा जाव एगदेसंसि के जाव गमणाए कोट्टपुडाण य जाव अण्णेसि कोट्ठागारंसि सकम्म सं कोडंबिय जाव खिप्पामेव लहुकरणजुत्तं जाव जुत्तामेव उवट्ठवेंति कोडुबियपुरिसा जाव एवं कोडुंबियपुरिसा जाव ते वि तहेव कोडुबियपुरिसा जाव पच्चप्पिणंति खंड जाव एडेह ११११३६ १८१२६ १।५।२० १।८।१०५ १।१६।१५७ १११४१४१,४२ शा१५ १।१८।२७ १।१६।२८८ २।१११२ १।८।४० १।८।५१ १।५।१२४ १।२।३३ १।२।६७ १२।४५ ११५६० १।१६।३२२ १२।६७ १।१६।३० १४१७१२२ १।१३।२० १७।१३ १1८1१७४ ११७११७,१८ १११११११ १।१७।२२ २७।२५ १।१।२६ ११११४८ १।११४८ ११११४८ १।१।३६ वृत्ति ११२।१४ ११।४८ १।१६।२८२ राय० सू०६ शा५१ १।१।२४ ११५१२४ १२।३३ ११।३३ १।२।३३ १।१।१६ १।२८४ वृत्ति १।१३।२८ ११७४२३ १।१७।२३ ओ० सू०४ ११८१७३ ११७१५,१६ १।१।१०७ वृत्ति १२७७ १।८।५२ १११५७ ११११११७ १।१।६२ १११६७८ उवा० ११४७,११८५१ ११११६ ११११११६ ११११२३ ११६७४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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