Book Title: Angsuttani Part 03 - Nayadhammakahao Uvasagdasao Antgaddasao Anuttaraovavai Panhavagarnaim Vivagsuya
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 888
________________ १।१६।६ देवी जाव पउमनाभ ।१६।२३६ १।१६।२३३ देवी जाव साहिया १।१६।२४० २१६०२०८ देवेण वा जाव निग्गंथाओ ११८७५ उवा० २।४५ देवेण वा जाव मल्लीए ११८।१३५ श८७५ दोच्चस्स वग्गस्स उक्खेवयो २।२।१ २।१०६ धण कणग जाव परिभाएउं १।१।६२ ११११११ धण जाव सावएज्जस्स ११७।३४ १।१९१ धण जाव सावएज्जे ११६१ धण्णा णं ते जाव ईसरपभियओ १।१३।१५ १।११३३ धम्म सोच्चा जं नवरं ११५८७ १।१।१०१ धम्म सोच्चा जहा णं देवाण प्पियाणं अंतिए बहवे उग्गा भोगा जाव चइत्ता हिरण्णं जाव पव्वइया तहा णं अहं णो संचाएमि पब्बइए ११५॥४५ राय० सू० ६६५ धम्मकहा भाणियव्वा ११७८ १।५।६३ धम्मोत्ति वा जाव विजयस्स ११।७५ १।२।६४ धोवसि जाव आसयसि २।१।३५ २१११३४ धोवेइ जाव आसयइ २।११३८ २।११३४ धोवेइ जाव चेएइ १।१६।११६ १।१६।११४ धोवेसि जाव चेएसि १।१६।११५ १।१६।११४ नंदीसरे अट्टाहियं करेंति जाव पडिगया शा२२४ जंबू० वक्ष०५ नगरगिहाणि १८७ १८५८ नगर जाव सण्णिवेसाणं आहेवच्चं जाव विहराहि १११।११८ नच्चासन्ने जाव पज्जुवासइ १।१४।८५ १।१।६६ नट्टा य जाव दिन्न० १।१३।२० ओ० सू० १ नठुमईए जाव अवहिए १।१७।१० १११७८ नयरिं अणुपविसह १।१६।२१६ १।१६।२१८ नवमस्स उक्खेवओ एवं खलु जंबू जाव अट्ठ २।४।१,२ नवरं तस्स ११७।२८,२६ ११७१८,२५,२६ नाइ० ११५।२६,११७।६,६,२२,२६,४२,१।१५।११,१।१६।५०,५४,१११८,५१,५६ १।१।८१ १।१४।१८,१११५।१६ ११।२० ओ० सू० ६८ २।२।१,२ नाइ० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922