Book Title: Angsuttani Part 03 - Nayadhammakahao Uvasagdasao Antgaddasao Anuttaraovavai Panhavagarnaim Vivagsuya
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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तुरुक्क जाव गंधवट्टिभयं
१।१६।१५५ तेसिं जाव बहूणि
१।१७१६ थलय
११८।४६ थलय जाव दसद्धवण्णं
११८।३१ थलय जाव मल्लेणं
१।।३२ थावच्चापुत्ते जाव मुंडे
१।५८० थेरागमणं इंदकुंभे उज्जाणे समोसढा ११८८ थेरा जाव आलित्ते
१।१६।३१५ दंडणाणि जाव अणु परियट्टइ १।४।१८ दंडणाणि य जाव अणुपरियट्टइ
श३।२४ दसमस्स उक्खेवओ एवं खलु जंबू जाव अट्ठ २।१०।१,२ दाणधम्मं च जाव विहरइ
श८१४११५२ दारियं जाव झियायमाणि
१।१६।६४ दासचेडियाहिं जाव गरहिज्जमाणी १८।१४७ दाहिणड्डभरहस्स जाव दिसं
।१६।२६६ दिढे जाव आरोग्ग
१।१।२० दित्ते जाव विउलभत्तपाणे
श२७ दीहमद्धं जाव वीईवइस्सइ
१।२।७६ दुपयस्स वा जाव निव्वत्तेइ
११८।१२६ दुरुहइ जाव पच्चोरुहइ
१।१७।१३ दुरुहंति जाव कालं
१११६।३२३ दुरूढा जाव पाउब्भवंति
श८।१४ दूइज्जमाणा जाव जेणेव
१।१६।३२१ दूइज्जमाणे जाव विहरइ
१।१६।३२० देवकन्ना
११८।१५४ देवकन्ना वा जाव जारिसिया
शक्षा८६,१११ देवयभूयाए जाव निव्वत्तिए
श८।१२८ देवलोगाओ जाव महाविदेहे
१।१६।२४ देवाणुप्पिया जाव कालगए
१।१६।३२३ देवाणप्पिया जाव जीवियफले शा७६ देवाणुप्पिया जाव नाइ
१।१६।२६५ देवाणु प्पिया जाव पव्वतिए
१।१६।३४ देवाणुप्पिया जाव साहराहि १।१६।२४२ देवाणुप्पिया जाव सुलद्धे
१११६२६ देवी जाव पंडुस्स
१।१६।३०१
१।१०२२ ११८७१ १।८।३० १८।३० १८.३० १।५।३४
शा१२
११।१४६ सूय० २।२।७८
१।३।२४ २।२।१,२ १।८।१४० १।१६।६२ १।८।१४६ १।१६।२६७ १।१२०
वृत्ति १।२।६७ ११८।११६
१।१।१०२ १।१६।३२३ १२५१
१।१।४ १।१।४।१।१६।३१६
१८८६
वृत्ति ११८।१२६ ११११२१२ १।१६।३२२ उवा० २।४०
११५।१२३ १।१६।२६ १।१६।२४०
१।१६।२६ ११६।२६२
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