Book Title: Anand Pravachan Part 09
Author(s): Anand Rushi, Shreechand Surana
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 6
________________ में बहुत ही छोटा है, सिर्फ बीस गाथाओं का, किन्तु प्रत्येक गाथा के प्रत्येक चरण में गहनतम विचार-सामग्री भरी हुई है । अगर एक-एक चरण पर चिन्तन-मनन किया जाये तो भी विशाल विचार साहित्य तैयार हो सकता है। श्रद्धेय आचार्य सम्राट ने अपने गहनतम अध्ययन-अनुभव के आधार पर इस ग्रन्थ के एक-एक सूत्र पर विविध दृष्टियों से चिन्तन-मनन-प्रत्यालोचन कर जीवन का नवनीत प्रस्तुत किया है। इन प्रवचनों में जहां चिन्तन की गहराई है, वहाँ जीवन जीने की सच्ची कला भी है। गौतम कुलक के इन प्रवचनों को हम लगभग पांच भाग में क्रमशः प्रकाशित करेंगे । प्रथम खंड पाठकों की सेवा में गत वर्ष पहुँचा था। गौतम कुलक पर प्रवचनों का यह द्वितीय खंड है, तृतीय खंड भी प्रेस में जाने की तैयारी में है । आशा है, पाठक अगले खंड ४-५ की भी धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करेंगे। इन प्रवचनों का संपादन यशस्वी साहित्यकार श्रीचन्द जी सुराना ने किया है। विद्वान् लेखक मुनिश्री नेमीचन्द जी महाराज का मार्गदर्शन एवं उपयोगी सहकार भी समय-समय पर मिलता रहा है। हम उनके आभारी हैं। आशा है यह प्रवचन पुस्तक पाठकों को पसन्द आयेगी। मन्त्री श्री रत्न जैन पुस्तकालय Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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