Book Title: Akbar Pratibodhak Kaun
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Mission Jainatva Jagaran

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Page 14
________________ =अकबर प्रतिबोधक कोन ? = "Akbar's action in abstaining almost wholly from eating meat and in issuing stringent prohibitions, resembling those of Ashoka, restricting to the narrowest possible limits the destruction of animal life, certainly was taken in obedience to the doctrines of his Jain Teachers. The infliction of capital penalty on a human being for causing the death of an animal, was in accordance with the practice of several famous ancient and Buddhist and Jain Kings. The regulation must have inflicted much hardship on many of Akbar's subjects and especially on the Mahammadans." ___ अर्थात् अकबर का लगभग पूर्ण रूप से मांस का परित्याग करना, एवं अशोक के समान क्षुद्र-से-क्षुद्र जीवहिंसा का निशेध करने के लिए सख्त आज्ञाओं का जारी करना, अपने जैन गुरुओं के सिद्धान्त के अनुसार आचरण करने ही के परिणाम थे। हिंसा करनेवाले मनुष्यों को कड़ी सजा देना यह कार्य प्राचीन प्रसिद्ध बौद्ध और जैन सम्राटों ही के अनुसार था। इन आज्ञाओं से अकबर की प्रजा में से बहुत लोगों को और विशेष रूप से मुसलमानों को बहुत कष्ट हुआ होगा। अन्वेषण की परम आवश्यकता अकबर के जीवनकाल में इन मंगल कार्यों का श्री गणेश कराने वाले या अकबर को प्रतिबोध देकर उसकी जिंदगी में अहिंसा की क्रांति लाने वाले महापुरुष कोन थे? यह जानना परम आवश्यक है, ताकि सभी भारतीय प्रजा एवं विशेष करके जैन समाज उनके प्रति श्रद्धा भक्ति एवं कृतज्ञता का भाव प्रगट करने का अपना कर्तव्य निभा सके। मध्यस्थभाव से सत्य की शोध गच्छराग एवं पक्षपात से दूर हटकर मुख्यरूप से ऐतिहासिक सामग्रीओं के आधार पर इस बात पर प्रकाश डालना ही इस लेख का उद्देश्य है। ऐतिहासिक सामग्रीओं में - 1. अकबर बदशाह के समय लिखी गई उनकी जीवन विषयक पुस्तकें - __आइन-इ-अकबरी, अल बदाउनी, अकबरनामा आदि. 2. अकबर के फरमान, जहाँगीर के फरमान, 3. इतिहासविद् विद्वानों के अभिप्राय, 4. तत्कालीन अन्य राजा आदि के पत्र वगैरह मुख्यरूप से आधार माने गये

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