Book Title: Akbar Pratibodhak Kaun
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Mission Jainatva Jagaran

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Page 25
________________ अकबर प्रतिबोधक कोन ? और उनके रिवाजों को कायम रखें। ये अर्ज मेरी नजर में दुरुस्त मालूम पड़ी कि जो सभी पहाड़ तथा पूजा की जगहें बहुत समय से जैन श्वेतांबर धर्म की हैं, अतएव उनकी अर्ज क़बूल कर सिद्धाचल का पहाड़ गिरनारजी का पहाड़, तारंगाजी का पहाड़, केसरियानाथजी के पहाड़ जो गुजरात देश में हैं वो तथा राजगिरी के पांचों पहाड़, सम्मेतशिखर उर्फ पार्श्वनाथ का पहाड़ जो बंगाल में है। सभी पूजा की जगह तथा पहाड़ के नीचे की तीर्थ की जगह जो हमारे अधीन मुल्क में है और कोई जैन श्वेतांबर धर्म की हो वो हीरविजयसूरि जैन श्वेतांबर आचार्य को दे दिया गया है। वे निखालिस मन से परमेश्वर की भक्ति करेंगे और जो पहाड़ तथा पूजा की जगहें, तीर्थ की जगहें श्वेतांबर धर्म की ही हैं। असल में देखा जाये तो वे सब जैन श्वेतांबर धर्म की ही है। जब तक सूर्य से दिन उजाला होगा, चन्द्रमा से रात को रोशनी होगी तब तक इस फरमान का हुक्म जैन श्वेतांबर धर्म को मानने वाले लोगों में प्रकाशित रहे और कोई मनुष्य इस फ़रमान में दखल न करे। कोई भी उन पहाड़ों के ऊपर तथा उसके आस-पास के पूजा की जगहों, तीर्थों की जगहों में जानवर मारना नहीं और इस हुक्म पर गौर कर अमल करें। तथा हुकुम से मुकरना नहीं, दूसरी नई परमान मांगना नहीं । लिखा तारीख 7 माह उरदो बेहेस्त मुताबिक रविउल अवल, सन् 37 जुलुसी । (मुग़ल सम्राटों की धार्मिक नीति (कु. नीना जैन) में से साभार उद्धृत) 19

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