Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohasya Part 06
Author(s): Manikyasagarsuri
Publisher: Mithabhai Kalyanchandji Pedhi

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Page 9
________________ आगमोद्धारक कृति सन्दोहे अत्र क्रमात्प्रतिलिखेन् मुखपटधर्मध्वजो निषद्यावे / ___ पट्टः कल्पत्रितयं, संस्तरकोत्तरपटौ च दश / / 9 / / तत्र प्रमाणतः षोडशाङ गुला वदनवत्रिका कार्या / ___ निजनिजमुखमाना वा, ज्ञेयाऽऽदेशो द्वितीयोऽयम् // 10 // सम्पातिमसत्वरजोरेणूनां रक्षणाय मुखवस्त्रम् / वसतेः प्रमार्जनायां, मुखनासं तेन बध्नन्ति // 11 // द्वात्रिंशदङ गुलमितं, रजोहरणमस्य करमितिर्दण्डः / अष्टाङ गुला दशा अथ, निशीथसमये विशेषोऽयम् // 12 // मानं विंशतिरथवा, षड्विंशतिरङ गुलानि दण्डस्य / दशिकानां तु क्रमतो, द्वादश षट् चाङ गुलानि स्युः / / आदानत्वग्वर्त्तननिक्षेपस्थाननिषदनादिकृते / पूर्वप्रमार्जनार्थ, मुनिलिङ्गायेदमानेयम् / / 14 / / कम्बलमयी निषद्या, दशिकसमेता च सा रजोहरणम् / उपरि च तत्पडमाने, अधिक वा द्वे निषद्य स्तः // 15 // तत्रैका क्षौमीया, दशोज्झिता हस्तमानका प्रथमा / अपराऽपि हस्तमाना, पादप्रोच्छनमयी ज्ञेया // 16 // द्विगुणश्चतुर्गुणो वा, चतुरस्रः पट्टकः करप्रमितः / __स्थविरयुवश्रमणकृते, सूक्ष्मे स्थूलेऽपि च विभाषा // 17 // कल्पत्रयं निजाणायाम, सार्धकरयुग्मविस्तारि / तत्र द्वौ सूत्रमयावेकस्तूर्णामयो ज्ञेयः // 18 // P.P. Ac. Gunratnasuri M.S in Gun Aaradhak Trust ned by CamScanner

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