Book Title: Agam Suttani Satikam Part 19 Bruhat kalpa Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Agam Shrut Prakashan View full book textPage 3
________________ बृहत्कल्प-छेदसूत्रस्य बृहत्कल्पछेदसूत्रस्य विषयानुक्रमः पृष्टाः ३४७ ३८७ १० ५० ५६ ३७० १५८ मूलाङ्कः | विषयः पृष्ठाङ्कः मूलाङ्कः विषयः | ८-५० | उद्देशकः-१ ३ /८१-९६ उद्देशकः-३ (अपूर्ण) ८-९ निर्ग्रन्थी-मासकल्प, ३/८१-८२ उपाश्रयप्रवेशप्रकृतः -११ वगडा प्रकृतम् -निर्ग्रन्थ्युपाश्रवप्रवेश | -१३ रथ्यामुखापणगृहादि -द्वाराणि-गम्यते कारणजाते, -१९ / घटोमात्रकादि प्राघुणक, गणधर, महर्द्धिक, -२९ सागारिकनिश्राप्रकृत्तम प्रच्छादना, जसहिष्णोश्चतुष्क -३१ प्रतिबद्धशव्या १०९. भजना, -३४ | गाथापतिकुलमध्यवास . | ११९ - निर्ग्रन्थोपाश्रयाश्रय-३६ चारप्रकृत्तम १४४|०-८६ चर्मप्रकृतसूत्र -३७ वैराज्य प्रकृत्तम् १५१ निर्ग्रन्थी विषयकसलोमचर्म -४१ | अवग्रहप्रकृतम् निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थी विषयक -४३ रात्रिभक्तप्रकृतम् १६८ कृत्स्नचर्म निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थी -४६ | रात्रिवस्त्रग्रहणम्... इत्यादि । १९९ विषयक अकृत्स्नचर्म -४७ सङ्खडीप्रकृत्तम् २३३) -८७ कृत्स्नाकृत्स्नवस्त्रप्रकृत -५० विचारभूमिआदि २४६/ -८९ / भिन्नाभिन्नवस्त्र प्रकृत ५१-८० उद्देशकः-२ २६६ - निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थीविषयक ५१-६२/ उपाश्रयप्रकृतसूत्र | २६६ अभिन्नवस्त्रसूत्र - उपाश्रय पदस्य निक्षेपः, -द्वाराणि-तीव्रमन्द, ज्ञानाज्ञान, |- उपाश्रये वसनविषये कल्प्य भाव, अधिकरण, वीर्य, | अकल्प्यस्थिति विषयक वर्णनम -वस्त्रस्य प्रमाण निरुपण -६८ | सागारिक पारिहारिक पात्रविषयक विधिः -७२ आहतिका-निहतिका अवग्रहानन्तकावग्रहपट्टकः -७४ | अंशिकाप्रकृत ३३८ -९२ | निश्राप्रकृत -१ -७८ पूज्यभक्तोपकरण | ३४० -९४ विकृत्स्नप्रकृत -७९ उपधिप्रकृत ३४२] -९५ समवसरण प्रकृत . -८० | रजोहरणप्रकृत ३४५] -९६ यथारत्नाधिकवस्त्रादि ३८४ ३९१ ३११ ३३२) ४३० ४५५ ४७३ ४८४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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