Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 01 of 01 Author(s): Jinendravijay Gani Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 6
________________ // शुद्धिपत्रकम् // पृष्ठं पंक्तिः अशुद्धं समारंभंतो समारंभंते कट्ठनिस्सिया = क्झनिस्सिया करुसयं फरुसयं 24 . 10 चेयं आयणं सवस्सिणोमि विणवन्ने 34. जिवीए 6 = = = = = = = = = = = = = अपि पुण्णकम्मासं पयलमाले पुक्खलं एय आयाण समुस्सिणोमि विणयन्ने जीपिए अप्पं पुराणकुम्मा पयलमाणे पुक्खलं वा अजाणया विस्वरूवे वियट्टित्तए निक्खित्तपुव्या अभिहणेज ०वणिमगा भिक्खू वा अणासादए . बहुदेसिएण एवमाहिज्जति पणीयरसभोयणभोई अइमत्तपाणमोयणमोई अजाण्या निरूवरूवे वियद्वित्तए निक्खत्तपुव्वा अलिहणेज . वणिमागा विक्खुवा अणालाइए पदेसएण अवमाहिज्जंति पणीयरसभोयणभाइ. अहमत्तपाणभोयण- मोयणभाइ मंखिजा x 1.2 14 127 14 भंसिमा 136 18 मेहुणो मेहुणेPage Navigation
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