Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Bhadrankarsuri
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra
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૩ર શ્રી ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર સાર્થ–બીજો ભાગ
फासओ मउए जे उ, भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओवि अ॥३५!! फासो गरुए जे उ, भइए से उ वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइर संठाणओवि अ ॥३६॥ फासओ लहुए जे उ भइए से उ वण्णओ । गंधो रसओ चेव, भइए संठाणोधि अ ॥३७॥ फासओ सीअए जे उ, भइए से उ वण्णो । गंधओ रसभो चेव, भइए संठाणओवि अ ॥३८॥ फासओ उण्हए जे उ, भइए से उ वण्णभो । गंधो रसओ चेव, भइए संठाणओवि अ॥३९॥ फासओ निद्धए जे उ, भइए से उ वण्णओ। गंधी रसओं च भइए संठाणओवि अ ॥४०॥ फासो लुक्खए जे उ, भइए से उ वण्णओ । गंधओ रस भो चेव, भइए संठाणमोवि अ॥४१॥ 'परिमंडलसंठाणे, भाए से उ वण्णओ गंधओ रसओ चेव, भइए फासओवि अ ॥४२॥ संठाणओ भवे वट्टे, भाए से उ वण्णओ । गंधो रसओ चेव, भइए फासओवि अ ॥४३॥ संठाणओ भवे तैसे, भइए से उ वण्णओ गंधओ रसओ चेव, भइए फासओवि अ ॥४४॥
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