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परिशिष्ट : शब्दकोष
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इहलोग
उंछ
उक्कट्ठ उक्का
उत्तिग उबगबोणी उहसिय उप्पिलोवगा
उम्मिय उन्भेइय उववन्न
उबहि
उस्सक्किया उस्सिचिया
८४३ आदि इहलोक, वर्तमान जीवन । S८.२३
नाना घरों से लिया हुआ थोड़ा आहार । ११०।१७ ५॥१॥३४ फलों के सूक्ष्म खंड, पत्तों के टुकड़े। सू० ४।२० उल्का, वह ज्योतिपिंड जिसके गिरने के साथ
चमकती रेखा दिखाई देती है। ५११५६
शप कीड़ी नगरा, जन्तु विशेष ।
७।२७ उदकद्रोणी, जल की कुंडी। ३१२ आदि साधु के उद्देश से बना आहार । ७.३९ दूसरी नदियों द्वारा जिसका वेग बढे ऐसी
नदी। सू० ४६ भूमि को फोड़कर निकलने वाला जीव ।
६।१३ समुद्र के पानी से बना नमक । ६।२।५,६ राजा आदि की सवारी में काम आने वाला वाहन ६।२१ आदि वस्त्र, पात्रादि उपकरण ।
५११६६ जलते हुए चूल्हे में ईधन डालकर । ५।१६३ अधिक भरे पात्र में से कुछ निकालकर । (श।२५ उच्च, ऐश्वर्य-सम्पन्न । । ७।३५ ऊपर उठा हुआ।
५।२।४८ भेड़ के समान गंगापन । १३ आदि आहार आदि की खोज करना । ५।११३६ आदि निर्दोष भक्त-पान । चू० सू० १११ नीच मनुष्य । चू० २१६ वह जोमनवार- जिसमें थोड़े लोगों के लिए
भोजन बनाया गया हो और खानेवाले अधिक
आ जावें। ५॥१०६३ आग पर रखे पात्र को नीचे उतार कर । शश६३ औपघातिक, चोट पहुंचाने वाला। ५१६३ अग्नि पर रखे अन्न को दूसरे पात्र में डालकर। सू० ४६ उपपात जन्मवाले देव-नारकी।
५।११४ अवपात, गड्ढा, उतार ।। चू० ११७ अवसन्न, निमग्न, डूबा हुआ।
ऊसढ
एलयमूयया एवणा एसणिय बोमजण ओमाण
मओयायरिया मोवघाइय मोवत्तिया मोववाइय मोवाय मोसन्न