Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Author(s): Mishrimalmuni
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 333
________________ ३१० ससरक्स साइम साण साणी सालुय सासवनालिया सिंगवेर सिंधव सिंवलि सिलेग्ग सिहि सुखपुढवी सुखागणि सुखोबग सुनिदिव्य सुलट्ठ सुहह दशकालिकसूत्र । ४सू० १८ सचित्त रज-युक्त । ११।१७ आदि ४सू० १६ आदि स्वादिम, स्वाद युक्त मेवा आदि पदार्थ । ।१।१२, २२ श्वान, कुत्ता। ७१६ अपमान-सूचक शब्द । ५।१।१८ सन की बनी चिक । ५।२।१८ कमल का कन्द । ६३६ आदि सावद्य, पाप-युक्त । ५।२।१८ सरसों की नाल । ३१७ आदि शृंगबेर, अदरक । २८ सेंधा नमक । ५।११७३ सेम की फली। ६।४ सू० ६७ प्रशंसा। ३ शिखि, अग्नि । . ८५ शस्त्र-अपरिणत सचित्त पृथ्वी । ४।सू० २० धूम और ज्वाला-रहित अग्नि । ४|सू० १६ अन्तरिक्ष जल । ७।४५ बहुत अच्छा पकाया गया। ७।४१ बहुत सुन्दर। ७४१ बहुत अच्छा हरण किया हुआ । ८।२५ सुभर, अल्प आहार से तृप्त होने वाल. ५।१९८ सूपिक, मसालेदार व्यंजन । ५।१।१२ नव-प्रसूता। ३१५ साधु जिसके घर में रहे उसका आहार । श।३८ मदिरापान की आसक्ति, उन्मत्तता । ५।११३४ सौराष्ट्र की मिट्टी, गोपीचन्दन । ३८ संचल या संचुर नमक ।। ६।४ सम्बोधनार्थक अव्यय । २६ जल में उत्पन्न होने वाली वनस्पति । २१८३ हस्तक (रुमाल) मुखवस्त्रिका। ४।सू० १९ भूमि को भेदकर निकले जल-बिन्दु । सुइय सेन्जायर-पिट सोंग्या सोरठ्यिा सोबच्चल हत्यग हरतणग

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