Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Author(s): Mishrimalmuni
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 332
________________ परिशिष्ट : शब्द-कोष विसोतिया बियण वीयावेउण बेहिम सहकाल संकम संडि संधाय संडिम संपर संचार संपणोल्लिया संसठकप्प संसेइम संसेहम सक्कुलि सत्यपरिणय सन्निर सन्निवेस सबीय, सवीयग समद्दिया सम्मुच्छिम सरीसिव सविज्जविज्जा ५११९ ४ सू० ११ {annel, clic ६।३७ हवा करने के लिए । ७३२ दो टुकड़े या फांक करने के योग्य फल । २६ स्मृतिकाल, भिक्षा का उचित समय । ५२०११४ पुल, जल को लांघने के लिए रखा काठ या पत्थर । ७।३६-३७ संस्कृति, भोज, जीमनवार । ४० २३ संघात, एक जगह अवस्थान । ५।१।१२ बालकों के खेलने का स्थान । ५२२ तृप्त होना, निर्वाह करना । ८।१७ विस्तर, बिछोना । { हाशम १३० चू० २२६ ४। सू० ६ ५।१।७५ ५।१।७१ ४।०४ से ८ चित्त-विलुप्ति, संयम से मन का मुड़ना । विधुवन, पंखा । ५ १।७० ५।२।५ ४। सू० ८ २२६ सू० ४। सू० ८ ४1० २०६ हिलाकर । संसृष्टकल्प, भोज्य वस्तु से लिप्त कड़छी आदि से आहार लेने की विधि । संस्वेदज, पसीने से उत्पन्न होने वाला जीव । संसेकिम, आटे का धोवन । शष्कुलि, तिलपपड़ी । शस्त्रपरिणत, विरोधी वस्तु के द्वारा अचित्त की हुई वस्तु । शाक-भाजी | गांव | बीज आदि दश अवस्थाओं से युक्त वनस्पति । मर्दन कर, कुचल कर । बिना बीज के ऊगने वाली वनस्पति । बिना गर्भ के इधर-उधर के पुद्गल-परमाणुओं के सम्मेलन से उत्पन्न होने वाला जीव । ७/२२ सरीसृप, सांप आदि पेट के बल से सरकने वाले जीव । ६०६९ आत्मविद्या का ज्ञान ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 330 331 332 333 334 335