Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Author(s): Mishrimalmuni
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 327
________________ ३०४ दशवकालिकसूत्र निस्सिय निहा निहुम नोसा पइरिक्कया पोम पंग पंसुखार पक्खोड पच्छाकम्म पन्जय पज्जिया पहागा पडिमाय पडिकुछ पडिग्गह १०४ निश्रित, आश्रित । १०८ संचय कराना। निश्चल, स्थिर चित्त वाला। २११४५ चक्की का पाट । चू० २।५ प्रतिरिक्तता, एकान्तता । ।२।१६ प्रतोद, चाबुक । ७।१२ पंडक, नपुंसक । ३०८ ऊपर का खार, नोनी मिट्टी। सू० ४।१९ बार-बार झटकना। ५।१३५ साधु को भिक्षा देने के बाद सचित्त जल से ६।५२ हाथ धोना आदि कार्य । ७।१८ परदादा, परनाना । ७।१५ परदादी, परनानी। चू० १ ० १ पताका, पतवार । १०१ वापिस पीना (वापिस लेना) ५।१।१७ निषिद्ध । १२७ आदि प्रतिग्रह, ग्रहण करना। ५॥११३६ ५।११३८ ६।३३ प्रतीचीन, पश्चिम दिशा-सम्बन्धी । २१०२८ आदि निषेध करना। चू० १ सू०१ वापिस पीना या वापिस लेना। ५॥१॥२५ प्रतिलेखन करना, निरीक्षण करना । ५।२।५ चू० २।२।३ प्रतिस्रोत, भोग-विरक्ति । ५।१२५६ पनक, काई, साधारण निगोदिया जीववाली ८।११ वनस्पति । ७।४५ पण्य, बेचने योग्य वस्तु । ७।३७ पण्यार्थ, स्वार्थसिद्धि के लिए अपने प्राणों को खतरे में डालनेवाला, या प्राणों की बाजी लगाकर बेंच-खरीद करनेवाला। ५॥११८ बोलना। लेना। परिच्छ पडिण पडिमाइक्स पडियाइयण परिलेह पडिसोय पणग पणिय पणिय

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