Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Author(s): Mishrimalmuni
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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घाय
परिशिष्ट : शब्द-कोश दुष्परिकत चू. १ सू०१ जिसका प्रतिक्रमण न किया हो। दुम्मणिय __३८ दौर्मनस्य, खोटी मनोवृत्ति । दुरहिदिव्य
६४ दुरधिष्ठित, दुर्धर । बुग्विहिय चु० १ श्लोक १२ विधि-विधान से प्रतिकूल आचरण । बुस्सेन्जा
८।२७ सोने की विषमभूमि । बेह-पलोयणा
३३ दर्पण आदि में शरीर देखना। ७.५१ सुभिक्ष ।
(४२० घण
१९ झाड़ना, हिलाना।
।६।६७ धुवजोगि
१०६ मन, वचन, काय की स्थिर प्रवृत्ति वाला। विसीलया
८।४. ध्र व-आचरण, शील के अठारह हजार भेदों
का पालन । धूमकेउ
श६ अग्नि । धूवत्ति
८॥४. धूमनेत्री, धूम पीने की नली, चिलम । नंगल
७।२८ लाङ्गल, हल । नत् गिय
७.१८ नाती, बेटी का बेटा, घेवता । नत णिया
७।१५ नातिनी, बेटी की बेटी, घेवती। नाणापिट
११५ अनेक घरों से लाया भोजन । नालीय
३।४ पासा डाल कर खेला जानेवाला जुआ । লিত
६।२१४ नियन्त्रण करना। निगामसाई
४।२६ काल-मर्यादा से अधिक सोने वाला। ३।११ इन्द्रिय और मन का निग्रह करने वाला। ८।३२ मुकर जाना।
७.५७ झाड़कर। निप्पुलाम
१११६ निप्पुलाक, निर्दोष । निर्यात
५।२।३७ निकृति, वंचना, माया।
३२ नित्याग्र, निमंत्रित कर नित्य दिया जाने वाला
६।४८ भोजन-पानादि। मिरासय १४ सू०६ श्लो०४ निराशक, प्रतिफल की आशा न रखने वाला। निब्बग्यि
६।२४ निपतित गिरा हुआ। निसंत
९।१।१४ निशान्त, प्रभातकाल । निसिर
८।४८ बाहर निकालना। निसोहिया
शरार निषीधिका, स्वाध्यायभूमि ।
नियाग

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