Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Author(s): Mishrimalmuni
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 325
________________ ३०२ दशवकालिकसूत्र पुगमाया मुसिर सोसइत्ता टाल तन्जायसंसट्ठ तत्तनिपुर तत्तफासुप तिरिच्छ संपाइम तुपट तेगिच्छा ५।१६ आदि यज्ञ। ८।१८ शरीर का मैल । ६३४ यापन, जीवन-निर्वाह । ६।११४ आदि जाति-पथ, संसार । ५।११३ युगमात्रा, चार हाथ-प्रमाण । ५५११६६ शुषिर, पोला। चू० १ सू० १ सुखाकर । ७.३२ कोमल फल, गुठली उत्पन्न होने से पहिली अवस्था का फल। २६ तज्जातसंसृष्ट, सजातीय द्रव्य से लिप्त । ५।२।२२ गर्म होकर ठंडी हुई वस्तु । ६ तपाकर निर्जीव हुमा पदार्थ । ५।१८ उड़कर आ गिरने वाले छोटे जन्तु । ५।१७० कद्द फल, तू बा। सू० ४।२२ सोना, करवट लेना। ३।४ रोग की चिकित्सा करना। S६११ १६।३।१२ स्तम्भ, अहंकार। का ६।२।३ गर्वोन्मत्त। ५२१११५ ईट आदि से रोका हुआ द्वार । ३।३ दांत घोना। ३९ दातुन करना। ५२१११५ जल-गृह । गीली मिट्टी, कीचड़। ॥१३६ ७४२४ दम्य, दमन करने के योग्य, बोझा ढोने के योग्य। ५।१।१४ जल्दी या उतावल से चलना । ५।१।३२ कड़छी, दाल आदि परोसने का चम्मच । १५॥१॥३५-३६ ५।२।३१ दर्शित, दिखाया हुआ। ७.२४ दोहए, दुहने के योग्य । ५।२।३२ दुस्तोषक, जो सहज में सन्तुष्ट न हो। बंग पिग्गल बन्तपहोयणा बगमट्टिया कुत्तोसम

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