Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Author(s): Mishrimalmuni
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 323
________________ ३०० मास भविष्ठा. महाविन ओहारिणी कायतिन्ज कालमासिणी कासव-नालिया कोयगड कुंडमोय फुक्कुल कुतति कुम्मास फुललओ फुसील केज्ज कोल 1. संघीय लोण खाइम खाण बेल गंडिया गंणा (सर्प) गंभीरविजय च २।६ चु० १ श्लो० ६ सावधानीपूर्वक देखकर लाया हुआ । साघुत्व से पतित । Re रावणी, निश्चयात्मक भाषा । ७३८ कायतार्य, तैरकर पार करने योग्य । पूर्णगर्भवती | श्रीपर्णी वृक्ष का फल । ५१४० ५२ २१ ८३।१ ५।१।५५ ६।५० ५।११३४ चू० १ श्लोक ७ ५।१।६८ ८५३ ६।५८ १०1१८ ७४५ सू० ४।३२ ५२ २१ २१ { चू० २।१४ ५।१।४७ आदि दशवेकालिकसूत्र क्रीतकृत, साधु के लिए खरीदा हुआ। कांडे के आकार या हाथी के पैर के आकार वाला मिट्टी का बरतन । धान्य- कण-युक्त तुष, भूसा । कुतृप्ति, दुश्चिन्ता । ५।१।४७ आदि ८।१८ ७।२८ २१८ कुल्माष, उड़द । कुललकस्, बिल्ली से । निन्द्य आचरण वाला । क्रेय, खरीदने के योग्य | घुन । बेर, बोर । स्कन्ध, वृक्ष का तना, जिससे शाखाएं निक लती हैं । सू० ४।८ स्कन्धबीज, वह वनस्पति जिसका स्कन्ध ही बीज हो । खलिन, घोड़े की लगाम । खादिम, खाद्य, खाजा आदि खाने के योग्य पदार्थ | स्थाणु कुछ ऊपर उठा हुआ वृक्ष का कटा ठूंठ । क्ष्वेल, श्लेष, कफ । गंडिका, अहरन, ऐरन । सांपों की वह जाति, जो वमन किये विष को वापिस पी ( चूस लेता है, गन्धन कहलाती है । ६।५५ ऊँचे छेदवाला । 1

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