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________________ परिशिष्ट : शब्दकोष २६१ इहलोग उंछ उक्कट्ठ उक्का उत्तिग उबगबोणी उहसिय उप्पिलोवगा उम्मिय उन्भेइय उववन्न उबहि उस्सक्किया उस्सिचिया ८४३ आदि इहलोक, वर्तमान जीवन । S८.२३ नाना घरों से लिया हुआ थोड़ा आहार । ११०।१७ ५॥१॥३४ फलों के सूक्ष्म खंड, पत्तों के टुकड़े। सू० ४।२० उल्का, वह ज्योतिपिंड जिसके गिरने के साथ चमकती रेखा दिखाई देती है। ५११५६ शप कीड़ी नगरा, जन्तु विशेष । ७।२७ उदकद्रोणी, जल की कुंडी। ३१२ आदि साधु के उद्देश से बना आहार । ७.३९ दूसरी नदियों द्वारा जिसका वेग बढे ऐसी नदी। सू० ४६ भूमि को फोड़कर निकलने वाला जीव । ६।१३ समुद्र के पानी से बना नमक । ६।२।५,६ राजा आदि की सवारी में काम आने वाला वाहन ६।२१ आदि वस्त्र, पात्रादि उपकरण । ५११६६ जलते हुए चूल्हे में ईधन डालकर । ५।१६३ अधिक भरे पात्र में से कुछ निकालकर । (श।२५ उच्च, ऐश्वर्य-सम्पन्न । । ७।३५ ऊपर उठा हुआ। ५।२।४८ भेड़ के समान गंगापन । १३ आदि आहार आदि की खोज करना । ५।११३६ आदि निर्दोष भक्त-पान । चू० सू० १११ नीच मनुष्य । चू० २१६ वह जोमनवार- जिसमें थोड़े लोगों के लिए भोजन बनाया गया हो और खानेवाले अधिक आ जावें। ५॥१०६३ आग पर रखे पात्र को नीचे उतार कर । शश६३ औपघातिक, चोट पहुंचाने वाला। ५१६३ अग्नि पर रखे अन्न को दूसरे पात्र में डालकर। सू० ४६ उपपात जन्मवाले देव-नारकी। ५।११४ अवपात, गड्ढा, उतार ।। चू० ११७ अवसन्न, निमग्न, डूबा हुआ। ऊसढ एलयमूयया एवणा एसणिय बोमजण ओमाण मओयायरिया मोवघाइय मोवत्तिया मोववाइय मोवाय मोसन्न
SR No.010809
Book TitleAgam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year
Total Pages335
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashvaikalik
File Size13 MB
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