Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Author(s): Samaysundar, Haribhadrasuri, 
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 724
________________ ७०१ अथ दशवैकालिकसूत्रपाठः। परिशिष्टम्। अथ दशवैकानिकसूत्रपाठः। दुमपुष्पिकाध्ययनम् ॥१॥ धम्मो मंगलमुक्कि, अहिंसा संजमो तवो ॥ देवा वि तं नमसंति, जस्स धम्मे सया मणो ॥१॥ .. जहा उमस्स पुप्फेसु, नमरो आविअ रसं ॥णय पुष्फ किलामेश्, सो अ पीणे अप्पयं ॥२॥ एमए समपा वुत्ता, जे लोए संति साहुणो ॥ विहंगमाव पुप्फेसु, दाणजत्तेसणे रया ॥३॥ वयं च वित्तिं लनामो, नय कोश उवहम्मश्॥ अहांगडेसु रीयंते, पुप्फेसु नमरा जहा ॥४॥ महुगारसमा बुझा, जे नवंति अणिस्सिा ॥ नाणापिंझरया दंता, तेण वुच्चंति साहुणो ॥ त्ति बेमि ॥५॥ उमपुस्फिअनयणं संमत्तं ॥१॥ ___ अथ श्रामण्य पूर्विकाध्ययनम् ॥२॥ कहं नु कुजा सामणं, जो कामे न निवारए ॥ पण पए निसीदंतो, संकप्पस्स वसं ग ॥१॥ क्वगंधमलंकार, श्वी सयणाणि अ॥ अचंदा जे न जुंजंति, न से चाइ त्ति वुच्च॥२॥ जे अ कंते पिए नोए, लछे वि पि कुवर ॥ साहीणे चयई नोए, से हु चाइ त्ति वुच्च॥३॥ समाश् पेहार परिवयंतो, सिआ मणो निस्सरई बहिचा ॥ न सा महं नावि अयं वि तीसे, श्च्चेव ता विणक रागं ॥४॥ आयावयाही चय सोगमवं, कामे कमाही कमिअं खु उरकं ॥ जिंदाहि दोसं विणएक रागं, एवं सुही होहिसि संपराए ॥ ५॥ परकंदे जलिरं जोई, धूमकेचं पुरासयं ॥ नेति वंतयं नोत्तुं, कुले जाया अगंधणे ॥६॥ धिरनु ते जसो कामी, जो तं विसयकारणा ॥ वंतं श्चमि आवेजं, सेझं ते मरणं नवे ॥ ७॥ अहं च लोगराअस्स, तं च सि अंधणविहिणो ॥ मा कुले गंधणा होमो, संजमं निहु चर ॥ ७ ॥ जश् तं काहिसी नावं, जा जा दिबसि नारि ॥ वायाविध हडो, अच्अिप्पा नविस्ससि ॥ ए॥ तीसे सो वयणं सोच्चा, संजयाइ सुनासि ॥ अंकुसेण जहा नागो, धम्मे संपडिवाइल ॥ १० ॥ एवं करंति जे बुझा, पंमिश्रा पविअरकणा ॥ विणिअति जोगेसु, जहा से पुरिसुत्तमो ॥ त्ति वेमि ॥११॥ ___ सामन्नपुविअज्जयणा संमत्ता ॥२॥ अथ क्षुल्लकाचाराध्ययनम् ॥ ३॥ संजमे सुच्अिप्पाणं, विप्पमुक्काण ताणं ॥ तेसिमेअमणान्नं, निग्गंयाण महेसिणं ॥१॥ ज़द्देसिझं कीअगडं, नियागमनिहडाणि अ॥ राश्नत्ते सिणाणे अ, गंधमद्धे अ वीअणे ॥२॥ संनिही गिहि मत्ते अ, राअपि किमिवए ॥ सेवाहणदंतपहोअणा अ, संपुचणे देहपलोअणा अ॥३॥ अवए अ नालीए, बत्तस्स य धारणहाए ॥ तेगिळं पाहणा पाए, समारंनं च जोहो ॥४॥ सिजाअरपिंम च, आसंदी पलिअंकए ॥ गिहतरनिसिङा अ, गायस्सुबट्टणाणि अ॥ ५॥ गिहिणो वेआवडिअं, जा अ आजीववत्तिा ॥ तत्तानिबुडनोत्तं, आजरस्सरणाणि अ॥६॥ मूलए सिंगवेरे अ, उबुखंडे अनिबुझे ॥ कंदे मूले अ सच्चित्ते, फले वीए अ आमए ॥ ७॥ सोवच्चले सिंधवे लोणे, रोमालोणे अ आमए ॥ सामुद्दे पंसुखारे अ, काललोणे अ आमए ॥॥

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