Book Title: Agam 41B Ohnijjutti Mulsutt 02B Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
|४911
||42
1143
||४|44
है
||४५/45
॥१२॥ मा.-12
॥१३॥पा.-13
11१४॥ भा..14
गाहा-१२ (५२) हत्यसयमेग गंता दइओ अशित्तुबीयए मीसो
तामिउसचित्तो वत्यी पण पोरिसिदिनेस निद्धेयरोय कालो एगंतसिणिद्धमझिमजहनो लुक्खोविहोइ तिविहो जहन्नमझोय उक्कोसो एगंतसिणिझुमी पोरिसिमेगं अचेअणो होइ विइयाए संमीसो तइयाइ सचेयणो वत्थी मन्झिमनिखे दो पोरिसीउ अथित्तुमीसओतइए चउत्थीए सचित्तोपवणो दइयाइमझगओ. पोरिसितिगमञ्चित्तो निजात्रंमि मीसग घउत्थी सचित्त पंचमीए एवं लुस्खेऽवि दिनबुड्ढी दइएण घथिणा वा पओयणं होस वाउणा मुणिणो गेलग्नमिव होजा सवित्तमीसे परिहरेजा वणसइकाओ तिविहो सचित्तो मीसओय अचित्तो सचित्तोपुण दुविहोनिच्छयववहारओचेव सब्दोऽवऽनंतकाओ सचित्तो होइ निच्छयनपस्स यवहारस्सयसेसो मीसो पव्वायरोटाई पुप्फाणं पत्ताणंसरडुफलाणं तहेय हरियाणं वेटमि मिलाणमिनायव्यं जीवविपजढं संथारपायदंडगखोमिय कप्पायपीढफलगाई ओसहमेसजाणिय एमाइपओयणंबहुहा वियतियचउरोपंचंदिया य तिप्पमिइ जत्य उसमेति सहाणे सहाणे सोपिंडो तेणं कामिणं बेइंदियपरिभोगो अखाण ससिप्पसंखमाईणं
तेइंदियाण उद्देहिगादिजंवा वएवेरो (६४) घउरिदियाण मच्छियपरिहारो वेव आसमक्खिया चेव
पंचेदियपिंडमि उ अव्यवहारी उनेरइया वम्मद्विदंतनहरोमसिंगअविलाइछगणगोमुत्ते खीरदधिमाइयाणयपंचिंदियतिरियपरिभोगो सहिते पव्यायण पंयुवएसे यमिक्खदाणाई सीसहिग अधित्ते मीसहिसरस्खपहपुच्छा खमगाइ कालकाइएसुपुच्छिा देवयं कंचि पंथे सुमासुभे यापुच्छेईच्छाए दिव्व उवओगो अहमीसओयपिंडो एएसिं विय नवण्ड पिंडाणं दुगसंजोगाईओ नायव्यो जाव चरमोति सोवीरगोरसासववेसणभेसजनेहसागफले पोग्गललोणगुलोयण नेगा पिंडाउ संजोगे
॥१५॥मा.-15
||४६|48
॥४७/17
॥४८148
ITS 49
140160
149181
॥५३॥52
॥५३/-63
||५४/454
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52