Book Title: Agam 41B Ohnijjutti Mulsutt 02B Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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(४३०) सुक्कोल्लसरिसपाए असरिसपाए य एत्य घउमंगो तुल्लेतुलनिवाए तत्य दुवे दोनऽतुल्ला उ
(४३१) सुक्के सुक्कं पडियं विर्गिधिउं होइ तं सुहं पदमो यंमि दवं छोटुं गालंति दवं करं दाउं (४३२) तइयंमि करं छोढुं उल्लिंचइ ओयणाइ जं तरउ दुल्लहदव्यं चरिमे तत्तियमित्तं विगिंचंति (४३३) संधरे सव्यमुज्झति चउमंगो असंथरे
असढो सुज्झई जे ते सुं मायावी जेसु बज्झई (४३४) कोडीकरणं दुविहं उग्गमकोडी विसोहिकोडी य उगमकोडी छक्कं विसोहिकोडी अणेगविहा (४३५ ) नव चेव अढारसगं सत्तावीसा तहेव चउपन्त्रा नउई दो चेव सया उ सत्तरी होइ कोडीणं (४३६) सोलस उग्गमदोसे गिहिणोउ समुट्ठिए चियाणाहि उपायणाए दोसे साहू समुट्टिए जाण
(४३७) नामं ठवणा दविए भावे उप्पायणा मुणेयव्या दव्यंमि होइ तिविहा भावंमि उ सोलसपया उ (४३८) आसूयमाइएहिं वालचियतुरंगबीयमाईहिं सुयआसदुमाईणं उपायणया उ सचित्ता (४३९) कणगरययाइयाणं जहेट्ठधाउविहिया उ ही य अश्चित्ता मीसा उ सभंडाणं दुपयाइकया उ उप्पत्ती
(४४०) भावे पसत्य इयरो कोहाउप्पायणा उ अपसत्यो कोहाइजुया घायाइणं च नाणाइ उपसत्या (४४१) धाई दूइ निमित्ते आजीव वणीमगे तिगिच्छा य कोहे माणे माया लोभे य हवंति दस एए (४४२) पुर्व्विपच्छासंथव विजा भंते य चुन जगे य उपायणाई दोसा सोलसमे मूलकम्मे य (४४३) खीरे यमजणे मंडणे व कीलावणंकधाई य एक्केक्काचिय दुविहा करणे कारावणे चैव (४४४) धारेइ धीयए वा धयंति वा तमिति तेण धाई उ जहविहवं आसि पुरा खीराई पंच धाईओ (४४५) खीराहारी रोवइ मज्झ कपासाय देहि णं पिजे पच्छा व मज्झ दाहिसि अलं व मुझो व एहामि (४४५) मइमं अरोगि दीहाउओ य होइ अविमाणिओ बालो दुल्लभयं खु सुयमुहं पिजाहि अहं व से देमि (४४०) अहिगरण मद्दपंता कम्मुदय गिलाणए य उड्डाहो चडुकारी य अवत्रो नियगो अनं च जं संके
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पिनित्ति (४३०)
।।३९७॥-307
113211-308
13311-399
000-11002||
||Y09:1-401
||४०२||-402
१४०३ || 409
||४०४|| -404
॥४०५॥-405
||४०६ ||-408
४०७॥-407
||४०८||-408
||४०९|| -408
||४१०-410
||[ ४११ || -411
|| ४१२|| -412
||४१३|| -413
||४१४|| - 414

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