Book Title: Agam 41B Ohnijjutti Mulsutt 02B Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 41
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८ पिंडनिज्नुत्ति - (५३८) (114) चुनेअंतखाणे चाणकके पायलेवणे समिए ___ मूल विवाहे दो दंडिणी उआपाणपरिसाडे ||५००||-300 (ur) जंघाहीणा ओमे कुसुमपुरे सिस्सजोग रहकरणं खुड्डदुगंजणसुणणा गमणं ऐसंतरे सरणं ॥३५॥ पा.-96 (५४०) मिक्खे परिहायंते येराणं तेसि ओमे दिताणं सहभुज चंदगुत्ते ओमोयरियाए दोबा ॥३६॥ मा.-38 (११) चाणक्कपुच्छ इटालचुण्णदारं पिहित्तु धूमेय दष्टुं कुच्छ पसंसा थेरसपीवे उवालंपो ॥३७॥ मा.-37 (१४२) जे विज़मंतदोसा ते चिय वसिकरणमाइचुनेहि एगमणेग पओसं कुजा पत्यारओ वावि ॥५०१||-501 (५४३) सूभगदुब्मग्गकराजोगा आहारिमा य इयरेय आधसधूववासापायपलेवाइणोइयो ||५०२1-502 (५४) नइकण्हबिन दीवे पंचसया तावसाण नियसंति पव्वदिवसेसुकुलवई पालेवुत्तार सक्कारे ॥५०३||-503 (१४१) जण सावगाण खिसण समियाऽक्खण माइठाण लेवेण सावय पयत्तकरणं अविणय लोए चलणधोए ॥५०४|1-504 (५४६) पडिलाभिय वच्चंता निब्बुड नइकूल मिलण समियाऽऽओ विम्हिय पंचसया तावसाण पव्वज साहाय 11५०५11-505 (९४७) अकुमार खयं जोणी बियरीयट्ठा निवेसणं यावि गम्भपए पायं वा जो कुव्यइ मूलकमंतं ॥६||प.-8 (५४८) अधिई पच्छा आसन्न बिवाहे भित्रकासाहणया आयमणपियण ओसह अक्खय जलीयअहिगरणं ॥५०६||-500 (4) जंघा परिजिय सड्ढी अखिन आणिञ्जए मम खवत्ती जोगो जोणुग्घाडणपडिसेह पओस उड्डाहो ॥५०७१-507 (१५०) मा तेफंसेज कुलं अदिञ्जमाणा सुया वयं पत्ता धम्मो यऽलोहियस्सा जइ बिंदू तत्तिया नरया १५०८11-500 (५५७) किं न ठविजइ पुत्तोपत्तो कुलगोत्तकित्तिसंताणो पच्छावियतंकझं असंगगहो मा य नासिञ्जा ॥५०९||-609 (१५२) अद्धि इत्ति पुच्छासवित्तिणी गम्मिणित्ति से देवी गब्ममाहाणं तुज्झवि करोमि माअद्धिई कुणसु ॥५१०||-510 (५५३) जइविसुओ मे होही तहवि कणिटोत्ति इयर जुवराया देइ परिसाडणं से नाए य पओस पत्यारो ५११||-511 (५५४) संखडिकरणे काया कामपवित्तिं च कुणइ एगत्य एगत्युशहाई जञ्जिय मोगंतरायंच ||५१२॥-512 (५५५) एवं तु गविठ्ठस्सा उग्गमउपायणाविसुद्धस्स गहणविसोहिविसुद्धस्स होइ गहणं तु पिंडस्स ||५१३||-513 For Private And Personal Use Only

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