Book Title: Agam 41B Ohnijjutti Mulsutt 02B Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 47
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandin Acha १० फिनिपुति - (ar) ॥६० -804 ॥६०५1-806 ॥६०६॥-800 1६०७1-807 ॥६०८11-808 ॥६०९||-800 19011-810 ॥६११:1-811 ॥६१२||-812 (Are) सेसेसुय पडिवक्खो नसंपवइ कायगहणमाईसु ___ पडिवक्खस्स अमावे नियमा उ भये तयग्गहणं (६७) सचित्ते अचित्ते मीसग उम्मीसगंमिचउभंगो आइतिए पडिसेहो चरिमे मंगमि भयणा उ (४८) जह चेव य संजोगा कायाण हेढओ य साहरणे तह चेव य उम्मीसे होइ विसेसो इमो तत्य (९) दायव्वमदायव्यं च दोऽविदव्वाई देइ मीसेर्ड ओयणकुसुणाईणं साहरण तयाहिं छो, (६५०) तंपिय सुक्के सुक्कं भंगाचत्तारिजह उ साहरणो अप्पबहुएऽविचउरो तहेवआइत्रऽणाइने (६५१) अपरिणयंपिय दुविहं दब्वे मावे य दुविहमेक्केक्कं दव्बंमि होइ छक्कं भावंमि य होइ सन्झिलगा (१५२) जीवत्तमि अविगए अपरिणयं परिणयं गए जीवे दिष्टुतो दुखदही इय अपरिणयं परिणयंतंच (१५३) दुगमाई सामने जइ परिणमई उ तत्य एगस्स देमित्ति नसेसाणं अपरिणयंमायओएवं (५५४) एगेण वाविएसिंमणमि परिणामियं न इयरेणं तंपिहुहोइ अगिज्झंसझिलगा सामि साहू या (६५५) घेत्तव्यमलोयकडं लेवकडे माहुपच्छकम्माई नय रसगेहिपसंगो इअवुत्ते चोयगो भणइ (५५) जइपच्छकामदोसाहयति माचेव मुंजऊ सययं तवनियमसंजमाणं चोयगहाणी खमंतस्स (१५७) लित्तंति भाणिऊणं छम्मासाहायए चउत्यंतु आयंबिलस्स गहणं असंथरे अप्पलेवंतु (१५८) आयंबिलपारणए छम्मास निरंतरंतुखविऊणं जइनतरइछमासे एगदिणूर्णतओ कुणउ (५१) एवंएककेककदिणं आयंबिलपारणं खदेऊणं दिवसे दियसे गिण्हउ आयंबिलमेव निलेवं (५५०) जइसे नजोगहाणी संपइ एसे य होइ तो खमओ खमणंतरेण आयंबिलं तु नियमं तवं कुणइ (१५५) हेट्ठावणि कोलसगा सोवीरगकरभोइणो मणुया जइतेऽविजवेति तहा किं नाम जईन जार्विति (१५३) तिय सीयं समणाणं तिय उण्हगिहीण तेणऽणुनायं तक्काईणं गहणं करमाईसु मइयव्यं (६५३) आहारउवहिसेञा तिण्णिवि उण्हा गिहीण सीएऽवि तेण उजीरइ तेसिं दुहओ उसिणेण आहारो ॥६१३।1-818 ॥६१४||-814 ॥६१५||-816 ॥६१६11-818 ॥६१७||-817 ॥५८||-818 H९१९|-819 ॥६२०0-820 ॥३२॥-821 For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 45 46 47 48 49 50 51 52