Book Title: Agam 41B Ohnijjutti Mulsutt 02B Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ७८ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पिकनिति (१७८) (१७८) जइणो बीसाधिग्गह पढमो बिय निण्हसावगजइणो उ एवं तु भावणासुऽवि योच्छं दोपहंतिमाणितो ( १०९ ) जइणो सावग निण्श्व पढमे बिइए य हुंति भंगे प केवलनाणे तित्यंकरस्स नो कम्पइ कयं तु ( १८० ) पत्तेयबुद्ध निण्हव उवासए केवलीवि आसज्ज खइयाइए य भावे पडुन मंगे उ जोएखा (१८१) जत्य उ तइओ भंगो तत्य न कप्पं तु सेसए भयणा तित्यंकरकेवलिणो अह कप्पं नो य सेसाणं (१८२) किं तं आहाकम्यंति पुच्छिए तस्सरूयकहणत्यं संभयपदरिसणत्यं च तस्स असणाइयं भणइ (१८३ ) सालीमाई अवडे फले व सुंठाइ साइमं होइ तस्स कडनिट्ठियमी सुद्धमसुद्धे य चतारि (१८४) कोद्दवरालगगामे वसही रमणिज भिक्ख सज्झाए खेत्तपडिलेहसंजय सावयपुच्छुए कहणा (१८५) जुञ्जइ गणस्स खेत्तं नवरि गुरूणं तु नत्थि पाउग्गं सालित्ति कए रुंपण परिभायण निययमगेहेसु (१८६) योर्लिता ते व अत्रे या अहंता तत्थ गोयरं सुति एसणाजुत्ता बालादिजणसंकडा (१८७) एए ते जेसिमो रद्धो सालिकरी घरे घरे दित्रो वा सेयं देमि देहि वा बिंति या इमं (१८८) थक्के थक्कावडियं अमत्तए सालिमत्तयं जायं मज्झ य पइस्स मरणं दियरस्स य से मया भज्जा (१८९) चाउलोदगंपि से देहि साली आयामकंजियं किमेयंति कयं नाउं वअंतऽनं वयंति य (१९०) लोणागडोदए एवं खाणित्तु महुरोदगं ढक्कएणऽच्छते ताच जाब साहुत्ति आगया ( १९१ ) कक्कडिय अंबगा बा दाडिम दक्खा व बीयपूराई खाइम हिगरणकरणंति साइमं तिगडुगाईयं (१९२ ) असणाईण चउण्हवि आमं जं साहुमहणपाउरगं तं निट्ठियं वियाणसु उवक्खडं तू कडं होइ ( १९३ ) कंडियतिगुणुक्कंडा उ निट्ठिया नेगद्गुणकंडा उ निट्ठियकडो उ कुरो आहाकम्मं दुगुणमाहु (१९४) छायंपि विवनंती केई फलहेउगाइवुत्तस्स तं तु न जुञ्जइ जम्हा फलंपि कप्पं बिइयमंगे ( १९५ ) परपच्ाझ्या छाया नवि सा रुक्खोव्वं वट्टिया कत्ता नटुच्छाए उ दुमे कप्पइ एवं भणतस्स For Private And Personal Use Only · ॥१५६॥-168 ।।१५७।1-157 ॥१५८|-158 ||94311-159 ॥१६०॥-160 19911-161 ॥१६२॥-182 ॥१६३॥-169 ॥१६४॥-164 ॥१६५॥-165 ||१६६|| 168 |19||-167 1195211-168 ॥१६९॥-189 ||90||-170 1190911-171 ॥१७२॥ 172 |199311-173

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