Book Title: Agam 41B Ohnijjutti Mulsutt 02B Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 28
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७८1278 |२७||-279 ॥२८०1280 ॥२८1-281 ॥२८२1-282 ॥२८३11-283 ।।२८४||-284 ||२८५11-285 गाहा - ३०४ (३०४) छबगवारगमाई होइ परहाणमो यऽणेगविह सट्ठाणे पिढरेछब्बगे य एमेव दूरेय (३०५) एकलेक्कं तं दुविहं अनंतरं परंपरेय नायव्यं अविकारि कयं दव्यं तं चेव अनंतरंहोइ (३०६) उच्छुक्खीराईयं विगारि अविगारिधयगुलाईयं परियावझणदोसा ओयणदहिमाईयं वावि (३०७) उभट्ठ परित्रायं अन्नं लद्धं पओयणे ऐच्छी रिणभीया व अगारी दहित्ति दाहं सुए ठयणा (३०८) नवणीय मंयुतक्कं व जाव अत्तहिया वगिण्हति देसूणा जावधयं कुसणंपिय जत्तियं कालं (३०९) रसककबपिंडगुलामच्छंडियखंडसकराणंच होइ परंपरठवणा अन्नत्य व जुञ्जए जत्य (३१०) भिक्खग्गाही एगत्य कुणइ बिइओ उदोसु उवओगं तेण परं उक्खित्ता पाहुडिया होइठवणाउ (३११) पाहुडियाविहुदयिहा बायर सुहुमा य होइ नायव्या ओसक्कणमुस्सक्कण कब्बट्टीएसमोसरणो (३१२) कंतामिताव पेतुंतो ते दाहामिपुत मा रोव तंजइ सुणेइ साहून गच्छए तत्य आरंभो (३१३) अन्नट्ठ उट्ठिया वा तुभवि देमित्ति दाहामि किंपिपरिहरति किह दाणि न उडिहिसी साहुपभावेण लब्मामो (३१४) मा ताव झंख पुत्तय परिवाडीए इहेहि सो साहू एयरस उडिया ते पाहं सोउं विवशेइ (३१५) अंगुलियाए घेतुं कड्ढइ कप्पटुओधरंजत्तो तेणं किंति कहिए न गच्छइ पाहुडिया एस सुहुमाउ (३१६) पुत्तस्स विवाहदिणं ओसरणे अइच्छिए मुणिय सड्न ओसकूकंतोसरणे संखडिपाहेणगदवट्ठा (३१७) अप्पत्तंमियठवियं ओसरणे होहिइत्ति उसकणं तंपागडमियरं या करेइ उखु अनुवा (३१८) मंगलहेउं पुत्रकृयायओसक्कियं दुहापगयं उस्सक्कियंपि किंतिय पुढे सिट्टे विवअंति (३३९) पाहुडिमत्तं भुंजईन पडिक्कमए य सस्स ठाणस्स एमेव अडइ बोडो लुक्कविलुक्को जह कबोडो (३२०) लोयविरलुत्तमंगं तयोकिसं जल्लखउरियसरीरं जुगमेत्तंतरदिष्टिं अतुरियचवलं सगिर्मितं (३२१) दणय अतम नगारं सड्ढी संवेगमागया काई विपुलऽप्रपाण धेतूण निणया निग्गओ सोऽदि २६॥पा.-26 ॥२७॥ पा.-27 ।।२८६॥-288 ॥२८७१-287 १८८||-288 ॥R८९1-289 ॥२९०11-280 ॥२९911-291 ॥२९२१1-292 ||२९३||-293 For Private And Personal Use Only

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