Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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उत्तरझयणाणि २. पिवासापरीसहे ४. तओ पुढो पिवासाए दोगुंछी लज्जसंजए' ।
सीओदगं न सेविज्जा वियडस्सेसणं चरे ॥ ५. छिन्नावाएस पंथेसु आउरे सुपिवासिए' ।
__ परिसुक्कमुहेदीणे 'तं तितिक्खे परीसह ॥ ३. सीयपरीसहे ६. चरतं विरयं लूहं सीयं फुसइ एगया ।
'नाइवेलं मुणी गच्छे सोच्चाणं जिणसासणं॥ ७. न मे निवारणं अत्थि छवित्ताणं न विज्जई ।
___ अहं तु अग्गि सेवामि इइ भिक्खू न चितए । ४. उसिमपरोसहे ८. उसिणपरियावेणं
परिदाहेण तज्जिए । घिसु वा परियावेणं सायं नो परिदेवए। ६. उपहाहितत्ते मेहावो सिणाणं 'तो वि पत्थए ।
___ गायं नो परिसिंचेज्जा न वीएज्जा य अप्पयं ।। ५. समसयपरीसहे १०. पुढो य दंस-मसएहि समरेव महामुणी ।
नागो संगामसीसे वा सूरो अभिहणे परं॥ ११. न संतसे न वारेज्जा मणं पि न पओसए ।
उवेहे न हणे पाणे भुंजते मंससोणियं ।। ६. अचेलपरीसहे १२. परिजुण्णेहि वत्थेहि होक्खामि त्ति अचेलए ।
अदुवा सचेलए होक्खं इइ भिक्खू न चितए॥ १३. 'एगयाचेलए होइ. सचेले यावि एगया ।
एवं धम्महियं नच्चा नाणी नो परिदेवए ।। ७. महापरीसहे १४. गामाणुगामं रीयंतं अणगारं अकिंचणं ।
अरई अणुप्पविसे तं. तितिक्वे परीसहं ।। १५. अरइं पिट्टओ किच्चा विरए आयरक्खिए ।
धम्मारामे निरारंभे उवसंते मुणी. चरे। १. लद्धसंजमे (ब, चू); लज्जासंजए, लज्ज- (बृपा, चूपा)। __ संजमे (बृपा); लज्जसंजते (चूपा)। ६. नाभिपत्थए (बृ चू,); णो वि पत्थए (बृपा)। २. सुप्पिवासिए (अ); सुपिवासए (ऋ) । ७. परिसे विज्जा (उ, ऋ) । ३. "मुहद्दीणे (अ, सु}; मुहोदीणे (ऋ); ८. सम एव (अ)। परिसुक्ख° (चू); परिसुक्क मुहे+अदीणे = ६. उवेह (ट, ऋ, चू) । परिसुक्कमुहेदीथे।
१०. एगता अचेलगे भवति (च); अचेलए सयं होइ ४. सम्वतोय परिचए (चू, बृपा)।
(बृपा, चूपा); एगया+बचेलए एगया५. नाइवेल विहन्निज्जा पावदिट्ठी विहन्नइ (ब, चेलए। चू); नाइवेलं मुणी गच्छे सोच्चाणं जिणसासणं
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