Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 12
________________ बोयं अज्झयणं परीसहपविभत्ती १. सुयं मे आउसं ! तेण भगवया एवमक्खायं -इह खलु बावीसं परीसहा समणेणं भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेइया, जे भिक्खू सोच्चा नच्चा जिच्चा अभिभूय भिक्खायरियाए' परिव्वयंतो पुट्ठो नो विहन्नेजा। २. कयरे ते खल बावीस परीसहा समणेणं भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेइया, जे भिक्खू सोच्चा नच्चा जिच्चा अभिभूय भिक्खायरियाए परिव्वयंतो पुट्ठो नो विहन्नेजा ? ३. इमे ते खल बावीसं परीसहा समणेणं भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेइया, जे भिक्खू सोच्चा नच्चा जिच्चा अभिभूय भिक्खायरियाए परिव्वयंतो पुट्ठो नो विहन्नेज्जा, तं जहा----१. दिगिछापरीसहे २. पिवासापरीसहे ३. सीयपरीसहे ४. उसिणपरीसहे ५ दंसमसयपरीसहे ६. अचेलपरीसहे ७. अरइपरीसहे ८. इत्थीपरीसहे ६. चरियापरीसहे १०. निसीहियापरीसहे ११. सेज्जापरीसहे १२. अक्कोसपरीसहे' १३. वहपरीसहे १४. जायणापरीराहे १५. अलाभपरीसहे १६. रोगपरीसहे १७. तणफासपरीसहे १८. जल्लपरीसहे १६. सक्कारपुरक्कारपरीसहे २०. पण्णापरीसहे २१. अण्णाण परीसहे २२. दंसणपरीसहे। १. परीसहाण पविभत्ती कासवेणं पवेइया । ___ तं भे उदाहरिस्मामि आणुपुवि सुणेह मे ।। १ दिगिछापरीसह २. दिगि छापरिगए दहे तवस्सी भिक्खु थामवं । न छिदे न छिदावए न पए न पयावए । ३. कालीपव्वंगसंकासे किसे घमणिसंतए । __ मायण्णे असण-पाणस्स अदीण-मणसो चरे ।। १. भिक्खुचरियाए (ब, चू); भिक्वायरियाए ३. उक्कोस (अ, ऋ)। (बृपा)!. ४. परियावेण (ब); परितापेण (चू); परि२. विनिहन्नेज्जा (ब)। गते (बृपा)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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