Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Nishihajjhayanam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 11
________________ पढमो उद्देसो ४८. जे भिक्खू वत्थस्स परं तिष्हं पडियाणियाणं देति, देतं वा सातिज्जति ॥ ४६. जे भिक्खू अविहीए वत्थं सिव्वति, सिव्वंतं वा सातिज्जति ॥ ५०. जे भिक्खू वत्थस्स एवं फालिय-गंठियं करेति, करेंतं वा सातिज्जति ॥ ५१. जे भिक्खू वत्थस्स परं तिष्हं 'फालिय-गंठियाणं" करेति, करेंतं वा सातिज्जति ॥ ५२. 'जे भिक्खु वत्थस्स परं तिन्हं फालिय-गंठीण संसिव्वेति, संसिव्वंतं वा सातिज्जति।। ५३. जे भिक्खू अतज्जाएणं 'गहेति, गहेंतं" वा सातिज्जति ॥ ५४. जे भिक्खू अइरेगगहियं वत्थं परं दिवड्ढाओ मासाओ धरेति, धरेंतं वा सातिज्जति ॥ अण्णउत्थिय-गार स्थिय-पदं ५५. जे भिक्खू गिधूमं अण्णउत्थि एण वा गारथिएण वा परिसाडावेति, परिसाडावेत वा सातिज्जति ॥ पूतिकम्म-पदं ५६. जे भिक्खू पूतिकम्मं भुंजति, भुजंतं वा सातिज्जति 'तं सेवमाणे आवज्जइ मासियं परिहारट्ठाणं अणुग्धातियं" ॥ १. फालियंठियाणं ( अ ) । २. अतः परं 'ख' प्रतौ अन्यानि त्रीणि सूत्राणि दृश्यन्ते — जे वत्थस्स एवं फालियं गठेति गंठत वा सातिज्जति । जे वत्यस्स परं तिन्हं फालियाणं गंठेति गत वा सातिज्जति । जे वत्थं अविहीए गंठेति गठेतं वा साति Jain Education International ६६६ ज्जति । ३. X ( अ ) । ४. 'गति' इति क्रियापदस्य 'ग्रध्नाति' इति संस्कृतरूपं विद्यते, तेन 'महेति गंठेति' इति द्वे अपि क्रियापदे समानार्थके स्तः । ५. गिहिधूमं ( अ, ख ) । ६. x (च्) । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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