Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir ॥श्रीनिरयावलिका सूत्र॥ नमः श्रुतदेवतायै॥ तेणं कालेणं तेणं समएम रायगिहे नामं नयरे होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे ० गुणसिलए चेइए वन्नओ, असोगवरपायवे पुढवीसिलापट्टए । तेणं कालेणं ० समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी अज्जसुहम्मे नामं अणगारे जातिसंपन्ने जहा केसी जाव पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवुडे पुव्वाणुपुब्बिं चरमाणे जेणेवरायगिहे नगरे जाव अहापडिरुवं उग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं जाव विहरति, परिसा निग्गया, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया तेणं कालेणं ० अजसुहम्मस्स अणगारस्स अंतेवासी जंबू णामं अणगारे समचरंससंठाणसंठिए जाव संखित्तविउलतेयलेस्से अजसुहम्मस्स अणगारस्म अदूरसामंते उटुंजाणं जाव विहरति १३।तए णं से भगवं जंबू जातसड्ढे जाव पज्जुवासमाणे एवं क्यासी उवंगाणं भंते! सम्णेणं नाव संपत्तेणं के अटे पण्णत्ते?, एवं खलु जंबू ! सभणेणं भगवया जाव संपत्तेणं एवं उवंगाणं पंच वग्गा पं०२०- निरयावलियाओ कप्पवडिंसियाओ पुफियाओ पुष्पचूलियाओ वण्हिदसाओ, जइ णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं उवंगाणं पंच वग्गा पं० २० निरयावलियाओ जाव वण्हिदसाओ पढमस्स णं भंते! वग्गस्स उवंगाणं निरयावलियाणं समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं कई अज्झयणा पं०?, एवं! खलु जंबू! समणेणं जाव संपत्तेणं ॥ ॥ श्रीनिश्यावलिका सूत्र॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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