Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
| हयमहित जहा भगवता कालीए देवीए परिकहियं जाव जीवियाओ ववरोवेति, तं एवं खलु गो० काले कुमारे एरिसएहिं आरंभेहिं जाव एरिसएणं असुभकडकम्मपब्भारेणं कालमासे कालं किच्चा च्उत्थीए पंकप्यभार पुढवीए हेमाभे नए नेइयत्ताए उववने १८काले णं भंते ! कुमारे चउत्थीए पुढवीए अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति ?, गो०! महाविदेहे वासे जाई कुलाई भवंति तं०-अड्डाई जहा दढप्पइन्नो जाव सिन्झिहिति बुझिहिति जाव अंतं काहिति, तं एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं निरयावलियाणं पढमस्स अज्झ्यणस्स अयमढे पं०।१९॥कालझयणं८-१॥जइ णं भंते! सभणेणं जाव संपत्तेणं निरयावलियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमद्वे पं० दोच्चस्सणंभते! अज्झयणस्स निरयावनियाणं समणेणं भगवया जावसंपत्तेणं के अटे पं०?, एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं० चंपा नाम नगरी होत्था, पुन्नभद्दे चेइए, कोणिए राया, पउमावई देवी, तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्सरन्नो भज्जा कोणियस्स रन्नो चुल्लमाउया सुकाली नामं देवी होत्था सुकुमाला०, तीसे णं सुकालीए देवीए पुत्ते सुकाले नामं कुमारे होत्था सुकुमाले०, तणे से सुकाले कुमारे अन्नया कयाति तीहिं दंतिसहस्सेहिं जहा कालो कुमारो निरवसेसं तं चेव जाव महाविदेहे वासे अंत काहिति, एवं निरयावलियाणं बीयस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्तेत्ति बेमि॥ बितियं सुकालअज्झयणं ८-२॥ एवं सेसावि अट्ठ अञ्झ्यणा नेयव्वा पढमसरिसा, णवरं मायातो सरिसणामाओ॥२०॥अञ्झ्यणाणि ३-१०॥ इति श्री निरयावलियातो सभत्तातो ८॥ निक्खेवो सव्वेसिं भाणियव्वो॥ प्रभु महावीर स्वामीनीपट्ट परंपरानुसार कोटीगण-वैरी शाखा- चान्द्रकुल प्रचंड प्रतिभा संपन्न, वादी |॥ श्रीनिरालिका सूत्र
| पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 31 32 33 34 35 36 37