Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Sthanakvasi
Author(s): Bindubai Mahasati, Rupalbai Mahasati, Artibai Mahasati, Subodhikabai Mahasati
Publisher: Guru Pran Prakashan Mumbai

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Page 140
________________ શ્રી રાયપસેણીય સૂત્ર १७३ तए णं ते आभिओगिआ देवा सामाणियपरिसोववण्णेहिं देवेहिं एवं वृत्ता समाणा हट्ठतुट्ठ जाव विणएणं वयणं पडिसुर्णेति, पडिसुणित्ता उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमंति, अवक्कमित्ता वेडव्वियसमुग्धाएणं समोहणंति जाव अट्ठसहस्सं सोवण्णियाणं कलसाणं, अट्ठसहस्सं रुप्पमयाणं कलसाणं, अट्ठसहस्सं मणिमयाणं कलसाणं, अट्ठसहस्सं सुवण्णरुप्पमयाणं कलसाणं, अट्ठसहस्सं सुवण्णमणिमयाणं कलसाणं, अट्ठसहस्सं रुप्पमणिमयाणं कलसाणं, अट्ठसहस्सं सुवण्णरुप्पमणिमयाणं कलसाणं, अट्ठसहस्सं भोमिज्जाणं कलसाणं, ८८ एवं भिंगाराणं आयंसाणं थालाणं पाईणं सुपइट्ठाणं मणोगुलियाणं वायकरगाणं चित्ताणं रयणकरंडगाणं, पुप्फचंगेरीणं जाव लोमहत्थचंगेरीणं, पुप्फपडलगाणं जाव लोमहत्थपडलगाणं, सीहासणाणं छत्ताणं चामराणं, तेल्लसमुग्गाणं जाव अंजणसमुग्गाणं अट्ठसहस्सं झयाणं, अट्ठसहस्सं धूवकडुच्छुयाणं विउव्वंति, विउव्वित्ता ते साभाविए य वेडव्विए य कलसे य जाव कडुच्छुए य गिण्हंति गिहित्ता सूरियाभाओ विमाणाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए जाव देवगईए तिरियमसंखेज्जाणं दीवसमुद्दाणं मज्झमज्झेणं वीइवयमाणा-वीइवयमाणा जेणेव खीरोदयसमुद्दे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छ खीरोदगं गिण्हंति, गिण्हित्ता जाई तत्थुप्पलाई पउमाई कुमुयाइं णलिणाई सुभगाई सोगंधियाइं पोंडरीयाइं महापोंडरीयाई सयपत्ताइं सहस्सपत्ताइं ताइं गिण्हंति, गिण्हित्ता जेणेव पुक्खरोदए समुद्दे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता पुक्खरोदयं गेहंति, गेण्हित्ता जाई तत्थुप्पलाई जाव सहस्सपत्ताइं ताइं गिण्हंति, गिण्हित्ता जेणेव समयखेत्ते जेणेव भरहेरवयाइं वासाइं जेणेव मागहवरदामपभासाइं तित्थाई तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तित्थोदगं गेण्हंति, गेण्हित्ता तित्थमट्टियं गेण्हंति, गेण्हित्ता जेणेव गंगा-सिंधू- रत्ता-रत्तवईओ महानईओ तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सलिलोदगं गेण्हंति, गेण्हित्ता उभओकूलमट्टियं गेण्हंति, गेण्हित्ता जेणेव चुल्लहिमवंत-सिहरि - वासहर-पव्वया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सव्वतूयरे सव्वपुप्फे सव्वगंधे सव्वमल्ले सव्वोसहि-सिद्धत्थए गिण्हंति, गिण्हित्ता जेणेव पउम-पुंडरीयदहा तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता दहोदगं गेण्हंति, गेण्हित्ता जाईं तत्थ उप्पलाई जाव सहस्सपत्ताइं ताइं गेण्हंति, गेण्हित्ता जेणेव हेमवय-हेरण्णवयाइं वासाइं जेणेव रोहिय-रोहियंस- सुवण्णकूलरूप्पकूलाओ महाणईओ तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सलिलोदगं गेण्हंति, गेण्हित्ता उभओकूलमट्टियं गिण्हंति, गिण्हित्ता जेणेव सद्दावाई-वियडावाई वट्टवेयड्ढपव्वया

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