Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Sthanakvasi
Author(s): Bindubai Mahasati, Rupalbai Mahasati, Artibai Mahasati, Subodhikabai Mahasati
Publisher: Guru Pran Prakashan Mumbai

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Page 144
________________ ૯૨ અભિષેકને સૂત્રકારે અહીં ઇન્દ્રાભિષેક કહેલ છે. અભિષેક સમયનો દેવોલ્લાસઃ શ્રી રાયપસેણીય સૂત્ર १७५ तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स महया-महया इंदाभिसेए वट्टमाणे - अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं णच्चोदगं णाइमट्टियं पविरलफुसियरयरेणुविणासणं दिव्वं सुरभि- गंधोदगवासं वासंति, अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं हयरयं नट्ठरयं भट्ठरयं उवसंतरयं पसंतरयं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं आसियसम्मज्जिओवलित्तं सुइ-सम्मट्ठ- रत्थंतरावणवीहियं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं मंचाइमंचकलियं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं णाणाविहरागोसियझयपडागाइपडागमंडियं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं लाउल्लोइयमहियं गोसीससरसरत्तचंदणदद्दर- दिण्णपंचंगुलितलं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं उवचियचंदणकलसं चंदण-घडसुकयतोरणपडिदुवारदे सभागं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमानं आसत्तोसत्तविउलवट्टवग्घारियमल्लदामकलावं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं पंचवण्णसुरभि- मुक्कपुप्फपुंजोवयारकलियं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं कालागुरु-पवरकुंदुरुक्क तुरुक्क- धूवमघमर्धेत-गंधुद्ध्रुयाभिरामं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं सुगंधगंधियं गंधवट्टिभूयं करेंति, अप्पेगइया देवा हिरण्णवासं वासंति, सुवण्ण-वासं वासंति, रयणवासं वासंति, वइरवासं वासंति, पुप्पफवासं वासंति, फलवासं वासंति, मल्लवासं वासंति, गंधवासं वासंति, चुण्णवासं वासंति, वत्थवासं वासंति, आभरणवासं वासंति, अप्पेगइया देवा हिरण्णविहिं भाएंति, एवं - सुवण्णविहिं रयणविहिं पुप्फविहिं फलविहिं मल्लविहिं गंधविहिं चुण्णविहिं वत्थविहिं आभरणविहिं भाएंति, अप्पेगइया देवा चउव्विहं वाइत्तं वाएंति- ततं विततं घणं सुसिरं, अप्पेगइया देवा चउव्विहं गेयं गायंति, तं जहा- उक्खित्तायं पायंतायं मंदायं रोइयावसाणं, अप्पेगा देवा दुयं नट्टविहिं उवदंसेति, अप्पेगइया देवा विलंबियं णट्टविहि उवदंसेंति, अप्पेगइया देवा दुय-विलंबियं णट्टविहिं उवदर्सेति, अप्पेगइया देवा अंचियं नट्टविहिं उवदर्सेति, अप्पेगइया देवा रिभियं नट्टविहिं उवदर्सेति अप्पेगइया देवा अंचियरिभियं नट्टविहिं उवदंसेति, अप्पेगइया देवा आरभडं नट्टविहिं उवदर्सेति, अप्पेगइया देवा भोलं नट्टविहिं उवदर्सेति, अप्पेगइया देवा आरभङ-भसोलं नट्टविहिं उवदंसेंति, अप्पेइगया देवा उप्पयनिवायपसत्तं संकुचिय-पसारियं रियारियं भंत-संभतं णामं दिव्वं णट्टविहिं उवदर्सेति,

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