Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Antgaddasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text ________________
बीमो वग्गो- १-८ अभयणाणि
२- १० श्रज्कयणाणि
समुद्दादि-पदं
२६. एवं जहा गोयमो' तहा सेसा । अंधगवण्ही' पिया, धारिणी माया । समुद्दे, सागरे, थिमिए, गंभीरे, अयले, कंपिल्ले, श्रक्खोभे, पसेणई, विण्हू एए एगगमा ॥
बीओ वग्गो १८ अज्झयणाणि
उक्खेव पदं
१. जइ' णं भंते ! समणेण भगवया महावीरेणं अट्टमस्स अंगस्स अंतगडदसागं पढ़मस्स वग्गस्स श्रयमट्ठे पण्णत्ते, दोच्चस्स णं भंते ! वग्गस्स अंतगडदसाणं समणेणं भगवया महावीरेण के अट्ठे पण्णत्ते ?
२. एवं खलु जंबू ! समणेण भगवया महावीरेणं अट्ठमस्स श्रंगस्स अंतगडदसाणं दोच्चस्स वग्गस्स अट्ट अभयणा पण्णत्ता, तं जहा -
संग्रहणी-गाहा
Jain Education International
५४५
१. अक्खोभ २. सागरे खलु, ३. समुद्द ४. हिमवंत ५. प्रचलनामे य । ६. धरणे य ७. पूरणे य ८. अभिचंदे चेव अट्ठमए ॥ १ ॥
प्रक्खोभादि-पदं
३. तेणं कालेणं तेणं समएणं 'बारवई नाम नयरी होत्या " | अंधगवण्ही पिया | धारिणी माया । जहा पढमे वग्गे तहा सव्वे ग्रट्ट ग्रज्भयणा । गुणरयणं तवोकम्मं । सोलस वासाइं परिया । सेत्तुजे मासियाए संलेहणाए सिद्धा ॥
१. अं० १।६-२५ ।
२. वह (क, ख, ग ); अंधगविण्डु (घ) 1
३. सं० पा० - जइ दोच्चस्स वग्गस्स उक्खेवओ ।
४. तृतीयवर्ग पतोऽसौ गाथा 'तेणं कालेणं तेणं समएण' इति सुत्रात् प्राग् गृहीता । श्रादर्शषु
असौ गाथा 'धारिणी माया' इति पाठानन्तरमुल्लिखितमस्ति ।
५. बारवईए नयरीए ( क, ख, ग, घ ) । अस्य पाठ्य परिवर्तन १८ श्राधारेणकृतम् ।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168