Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Antgaddasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text ________________
छुट्टो वग्गो-४-१४ अज्झयणाणि
५८७
५६. तए णं से अज्जुणए अणगारे तेहिं बहहिं इत्थीहि य पुरिसेहि य डहरेहि य
महल्लेहि य जुवाणएहि य प्रायोसिज्जमाणे जाव' तालेज्जमाणे तेसिं मणसा वि अपउस्समाणे सम्म सहइ सम्म खमइ सम्म तितिक्खाइ सम्म अहियासेइ, सम्म सहमाणे सम्म खममाणे सम्म तितिक्खमाणे सम्म अहियासेमाणे रायगिहे नयरे उच्च-णीय-मज्झिम-कुलाइं अडमाणे जइ भत्तं लभइ तो पाणं न लभइ,
ग्रह पाणं लभइ तो भत्तं न लभइ ।।। ५७. तए णं से अज्जुणए अणगारे अदीणे अविमणे अकलुसे अणाइले अविसादी
अपरितंतजोगी अडइ, अडित्ता रायगिहाओ नगरायो पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव गुणसिलए चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवनो महावीरस्स अदरसामते गमणागमणाए पडिक्कमेइ, पडिक्कमेत्ता एसणमणेसणं पालोएइ, अालोएत्ता भत्तपाणं ° पडिदंसेइ, पडिदसेत्ता समजेणं भगवया महावीरेणं अभणुण्णाए समाणे अमुच्छिए अगिद्धे अगढिए अणज्झोववण्णे बिलमिव पण्णगभूएणं अप्पाणेणं तमा
हारं आहारे। ५८. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया रायगिहाम्रो पडिणिक्खमइ,
पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ।। अज्जुणप्रणगारस्स सिद्धि-पदं ५६. तए णं से अज्जुणए अणगारे तेणं अोरालेणं विपुलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं महाणु
भागेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे बहुपडिपुण्णे छम्मासे सामण्णपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता अद्धमासियाए सलेहणाए अप्पाण भूसेइ, झूसेत्ता तीसं भत्ताई अणसणाए छेदेइ, छेदेत्ता जस्सट्टाए कोरइ नम्गभावे जाव सिद्धे ।।
४-१४ अज्झयणाणि कासवादि-पदं ६०. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नगरे गुणसिलए चेइए। सेणिए राया।
कासवे नाम गाहावई परिवसइ । जहा मकाई। सोलस वासा परियायो। विपुले सिद्धे ।।
गोयमसामी
१. आतोसिज्जमाणे (क, ख, ग,)। २. अं० ६१५५ । ३. जोती (क, ख, ग,)।
४. स० पा० --जहा
पडिदंसेइ। ५. ओ० सू० १५४ ६. पं०६५-८ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168