Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Antgaddasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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पतिवया जाव अपास माणी पत्तिए जाव सल्लइयपत्त इए पतिया जाय चिट्ठति
पत्तेयं जाव पहारेत्थ
पमाएयव्वं जाव जामेव
परलोए नो आगच्छर जाव वीईवइस्सइ
परिहिए जाय परिवसितए
परिणमति तं चैव
परिणममाणा जाव वबरोवेंति
परिणामेण जाव जाईसरणे
परिणामेणं जाव तयावर णिज्जाणं
परितंता जाव पडिगया
परिपेते जाव चिट्ठेति
परियागए जाव पासित्ता
परिया जाव मत्ययंसि
पल्लंसि जाव विहरति
पवर जाव पडिसेहित्या पवर जाव भीए
पवरविवडिय जाव पडिसेहिया
पव्वए जाव सिद्धे
पव्वावेद जाव उवसंपज्जित्ता पथ्यावेद जाव जायामायाउत्तियं
पसन्दोहला जाव विहरइ पाणावाए जावमिच्छदंसणसणं
पाणाणुकायाए जाव अंतरा
पाषाण कंपयाए जाव सत्ताणु कंपयाए
वामक्या जाव वाणिया
● पामोक्खे जाब वाणियगे
पायसंघट्टणानि व जाव रखरेण गुंडणाणि
पाव जायपव्यइए
पावयण जाव से जहेयं
पासाईए जाव पडिरूवे
पासित्ता जाव नो बंदसि पियं जान विवा
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