Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 501
________________ ४८६ उपासकदशाङ्गसूत्रे समणोवासयं एवं वयासी - जहा चुलणीपियस्स तहेव देवो उवसग्गं करेइ, नवरं एक्केके पत्ते नव मंससोल्लए करेइ जाव कणीयसं घाएइ, घाइत्ता जाव आयंचइ ॥ २२५ ॥ तए णं से सद्दालपुते समणोवासए अभीए जाव विहरइ ॥ २२६ ॥ तए णं से देवे सद्दालपु : समणोवासयं अभीयं जाव पासित्ता चउत्थेपि सद्दालपुत्तं समणोवासयं एवं वयासी - हंभो सद्दालपुत्ता ? समणोवासया ! अपत्थियपत्थया ? जाव न भंजसि तओ ते जा इमा अग्गिमित्ता भारिया धम्मसहाइयो धम्मविइज्जिया धम्माणुरागरत्ता समसुह'चुलनी पितुस्तथैव देव उपसर्गे करोति, नवरमेकैकस्मिन् पुत्रे नव मांसशुल्यकानि करोति यावत्कनीयांसं घातयति, घातयित्वा यावदासिश्चति ।। २२५ ॥ ततः खलु स सद्दालपुत्रः श्रमणोपासकोऽभीतो यावद्विहरति ॥ २२६ ॥ ततः खलु स देव: सालपुत्रं श्रमणोपासकमभीतं यावद् दृष्ट्वा चतुर्थमपि सद्दालपुत्रं श्रमणोपासकमेवमवादीत् -"हंभो: सद्दालपुत्र ! श्रमणोपासक ! अमार्थितमार्थक ! यावन्न भनक्षि ततस्ते येयमग्निमित्रा भार्या धर्मसहायिका धर्मवैधिका धर्मानुरागरक्ता समसुख दुःखसमान उस देवताने सब उपसर्ग किए। विशेषता इतनी ही थी कि उसने शडालपुत्र के प्रत्येक पुत्रके मांसके नौ-नौ टुकड़े किए, यावत् सबसे छोटे लड़के को भी मार डाला और शकडालपुत्रका शरीर मांसलोहसे सींचा ॥२२५॥ तो भी शकडालपुत्र श्रमणोपासक निर्भय यावत् विचरता रहा ।। २२६ || देवताने उसे निर्भय देखकर चौथी बार भी कहा - " हे शकडालपुत्र श्रावक ! मौतको चाहनेवाला ! यावत् तू शील आदिको भंग नहीं करता तो तेरी यह धर्म में सहायता देनेवाली, धर्मकी वैद्य अर्थात् धर्मको सुरक्षित रखनेवाली, धर्मके अनुरागमें रंगी हुई, ઉપસગેર્યાં કર્યાં. વિશેષતા એટલી જ હતી કે તેણે શકડાલપુત્રના પ્રત્યેક પુત્રના માંસના નવ—નવ ટુકડા કર્યાં, યાવત્ સૌથી નાના પુત્રને પણ મારી નાખ્યું, અને શડાલપુત્રના પર માંસ—લાહી છાંટયાં. (૨૨૫) તાપણુ શકડાલપુત્ર શ્રામણેાપાસક નિર્ભીય યાવત વિચરતા રહયા. (૨૨૬), દેવતાએ એને નિર્ભીય જોઈને ચેાથી વાર પણ કહયું. ” હું શંકડાલપુત્ર શ્રાવક ! મોતને ચાહનારા ! યાવત તું શીલ આદિને ભંગ નહિ કરે, તા તારી આ ધર્મીમાં સહાયતા દેનારી, ધર્મની વૈદ્ય અર્થાત્ ધને સુરક્ષિત રાખ નારી ધર્મના અનુરાગથી રંગાયલી, દુ:ખ સુખમાં સમાનરૂપે સહાયતા કરનારી જે ઉપાસક દશાંગ સૂત્ર

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