Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 542
________________ ग्रन्थप्रशस्तिः ॥ ग्रन्थप्रशस्तिः ॥ ( अनुष्टुप् ) देशस्य मेदपाटस्य राजधानी चिरन्तनी । ख्यातोदयपुराऽऽख्यास्ति, तस्या आसन्नवर्त्तिनि ॥१॥ प्रधानमन्त्रिणः श्रीमत्कोठारिजिमहाधियः । आडग्रामान्तिके गङ्गोद्भवोद्यानेऽतिम जुले ॥ २ ॥ २४५७ " अश्व-संवर-भाषाऽ - ऽक्षि - सम्मिते वीरवत्सरे । मङ्गलेऽहनि सप्तम्यां तपस्ये धवले दले ॥ ३ ॥ उपासकदशाङ्गस्य व्याख्या सर्वोपयोगिनी । यत्नात्सन्दर्भिता - ऽगार, - धर्मसञ्जीवनी मेया ॥ ४ ॥ ५२७ १ - मया = घासिलाले नेत्यर्थः दशोंही श्रावकोने इन ग्यारह प्रतिमाओं को पालन किया और विसवर्ष श्रावकके व्रतोंकी पर्याय में रहकर अन्तसमय में एकामलका अनशन पूर्वरु समाधिकरण अंगीकार किया जिससे वे विधर्म नामके प्रथम देवलोक के विभिन्न विमानोंमें चारपत्योपम स्थितिवाले देव उत्पन्न हुए । आगे वे देवपर्याय पूर्णकरके महाविदेह क्षेत्र में मनुष्यपर्याय धारण करके तपस्या ( तप संजमकी आराधना) करके सिद्धगति को प्राप्त होवेंगे ॥ १२ ॥ | ग्रन्थप्रशस्ति । मेदपाट (मेवाड़) देशकी प्राचीन राजधानी उदयपुर है । उसके निकट || १ || आड़ ग्राममें श्रीमान् धीमान् प्रधानमन्त्री कोठारीजीका 'गंगोद्भव' नामक उद्यान है । वह अत्यन्त मनोहर है ॥ २ ॥ उस उद्यान में, चैत्र शुक्ला सप्तमी मंगलवार, वोर संवत् चौवीस सौ सत्तावन (२४५७) के दिन || ३ मैंने ( घासीलाल नामक मुनिने) सर्व साधारणके ગ્રન્થપ્રશસ્તી मेवाड (मेहघाट) देशनी आशीन राज्धानी उदयपुर छे तेनी निउट (१) આડ ગામમાં શ્રીમાન્ ધીમાન્ પ્રધાનમંત્રી કાઠારીજીનું ગંગાદ્ભવ, નામનુ ઊદ્યાન છે. એ અત્યંત મનહર છે. (ર) એ ઉદ્યાનમાં ચૈત્ર સુદ સાતમ ને મ"ગળવાર, વીર સંવત્ ૨૪૫૭ને દિને (૩) મેં (ધાસીલાલ મુનિ) સર્વસાધારણુને ઉપયેગી ઉપાસક દશાંગ સૂત્ર

Loading...

Page Navigation
1 ... 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587