Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 532
________________ अगारधर्मसञ्जीवनीटीका अ.९ मू० २६९-२७२ अध्ययनसमाप्तिः ५१७ नानात्वमरुणगवे विमाने उपपातः। महाविदेहे वर्षे सेत्स्यति ॥२७२॥ निक्षेपः॥ सप्तमस्याङ्गस्योपासकदशानां नवममध्ययनं समाप्तम् ॥९॥ इतिश्री-विश्वविख्यात-जगद्वल्लभ-प्रसिद्धवाचक-पञ्चदशभाषाकलितललितकलापालापक-प्रविशुद्धगद्यपद्यनैकग्रन्थनिर्मापक-वादिमानमर्दक-श्रीशाहूछत्रपतिकोल्हापुरराजमदत्त-"जैनशास्त्राचार्य"-पदभूषित-कोल्हापुरराजगुरुबालब्रह्मचारि-जैनाचार्य-जैनधर्मदिवाकर-पूज्य-श्री-घासीलालवति-विरचितायामुपासकदशाङ्गमूत्रस्याऽगारधर्मसञ्जीवन्याख्यायां व्याख्यायां नवमं नन्दीनीपित्राख्यमध्ययनं समाप्तम् ॥ ९ ॥ कुटुम्ब का भार सौंपा। अपने धर्मप्रज्ञप्ति स्वीकार की। बीस वर्ष तक श्रावकपनका पालन किया। अरुणगव विमानमें उत्पन्न हुआ। महाविदेह क्षेत्र में सिद्ध होगा ॥२७२॥ निक्षेप पूर्वकी तरह ॥ सातवाँ अंग उपासकदशाके नौवे अध्ययनकी अगारसञ्जीवनी टीकाका हिन्दी-भाषानुवाद समाप्त ॥ ९ ॥ ધર્મપ્રજ્ઞપ્તિને સ્વીકાર કર્યો. વીસ વર્ષ સુધી શ્રાવકપણું પાલન કર્યું. અરૂણગવ विभागमा पनि थयो. भविड क्षेत्रमा सिद्ध शे. (२७२) निक्षे५ पूर्ववत. - સાતમા અંગ ઉપાસકદશાના નવમા અધ્યયનની અગાર સંજીવનીટીકાને ગુજરાતી-અનુવાદ સમાપ્ત ૯ ઉપાસક દશાંગ સૂત્ર

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