Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 11 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text ________________
भगवतीसूत्रे कर्तुम् उदानयस्य संकल्पपरूपणम् , केशिकुमारस्य राज्याभिषेकप्ररूपणम् , उदानयस्य दीक्षानिर्वाणवक्तव्यता, अभीतिकुमारस्य उदायनं प्रतिवैरानुबन्ध प्ररूपणम् , तस्य वीतभयनगरात् निर्गमनप्ररूपणं च अभीतिकुमारस्य असुरकुमारत्वेन उत्पादवक्तव्यतापरूपणम् ।
नारकादिवक्तव्यता। मूलम्-"रायगिहे जाव एवं वयासी-संतरं भंते! नेरइया उववज्जंति, निरंतरं नेरइया उववज्जति ? गोयमा! संतरं पि नेरइया उववजांति निरंतरपि नेरइया उववज्जंति, एवं असुरकुमारा वि, एवं जहा गंगेये तहेव दो दंडगा जाव संतरंपि वेमाणिया चयंति, निरंतरं पि वेमाणिया चयंति ॥सू०१॥
छाया-राजगृहे यावत्-एवम् अबादीत्-सान्तरं भदन्त ! नैरयिका उपपद्यन्ते, निरन्तरं नैरयिका उपपद्यन्ते ? गौतम ! सान्तरमपि नैरयिका उपश्यन्ते, निरंतरं पि नेरइया उपपद्यन्ते एवं असुरकुमारा अपि एवं यथा गाङ्गेयेः तथैव द्वौ दण्डको, यावत् सान्तरमपि वैमानिकायवन्ति, निरन्तरमपि वैमानिकाश्च्यवन्ति ॥सू० १॥
टीका-श्चमोद्देशके नैरपिकादि वक्तव्यतायाः प्रतिपादितत्वेऽपि षष्ठो देश के प्रकारान्तरेण तद्द्वक्तव्यतामेव प्ररूपयितुमाह-'रायगिहे जाव एवं वयासी ' राजगृहे यावत्-नगरे स्वापीसमवसनः, धर्मकथा श्रोतुं पर्षत् निर्गच्छति, सिन्धु सौवीर देश का प्ररूपण वीतिभयवक्तव्यता, उदायनवक्तव्यता, प्रभावती देवी वक्तव्यता, अपने भानेज केशिकुमार का राज्याभिषेक करने के लिये उदायन के संकल्प की प्ररूपणा केशिकुमार के राज्या. भिषेक का प्ररूपण, उदायन के दीक्षानिर्याण की वक्तव्यता, उदायन के पति अभिजित्कुमार के वैरानुबंध की प्ररूपणा, वीतभयनगर से इसके निगमन का कथन, अभिजित्कुमार का असुरकुमाररूप से उत्पाद होने की वक्तव्यता। પિતાના ભાણેજ કેશિકુમાર રાજ્યાભિષેક કરવાને ઉદાયનનો સંકલ્પ, કેશિકુમારના રાજ્યાભિષેકનું વર્ણન, ઉદાયનની દીક્ષા અને નિર્વાણની વકતવ્યતા, ઉદાયન સાથે અભિજિતકુમારના વૈરાનુબંધની પ્રરૂપણ, વીતભયન૨માંથી તેના નિર્ગમનનું કથન અભીજિતકુમારને અસુરકુમાર રૂપે ઉત્પાદ થવાની વકતવ્યતા.
શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૧
Loading... Page Navigation 1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 ... 906