Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 01 Stahanakvasi Author(s): Madhukarmuni Publisher: Agam Prakashan SamitiPage 10
________________ प्रकाशकीय व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र अपरनाम भगवतीसूत्र के प्रथम खण्ड का यह तृतीय संस्करण है। द्वादशांगों में यह पांचवां अङ्गशास्त्र है और गणधर सुधर्मास्वामी द्वारा ग्रथित है। विभिन्न दार्शनिक विचारों और जिज्ञासाओं के समाधानों से इसे ग्रन्थराज भी कहा जाता है। इसमें गणधर गौतमस्वामी, अन्यान्य गणधरों, श्रमणों एवं श्रावक-श्राविकाओं द्वारा पूछे गये ३६००० प्रश्नों तथा उनके श्रमण भगवान् महावीर द्वारा किये गये समाधानों का संकलन किया गया है। यह ग्रन्थराज अनेक शतकों (अध्ययनों) में विभाजित है और उन शतकों में भी अनेक अवान्तर अध्ययन हैं। इसकी मुख्य विवेचन शैली प्रश्नोत्तररूप है। व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र के विविध प्रकार के संस्करण प्रकाशित हुए हैं। उनमें कतिपय अति विस्तृत और कतिपय अति संक्षिप्त हैं। इस प्रकार के संस्करण जनसमान्य योग्य नहीं हो सकेंगे, ऐसा हमारा अनुमान है। अतः आगमप्रकाशन समिति ने दोनों प्रकार के संस्करणों की विशेषताओं का समावेश करके यह प्रकाशन किया है। जिसको जनसाधारण ने सराहा एवं ग्रन्थभण्डारों व आगम अध्येताओं की मांग बढ़ती रही। इसी कारण यह तृतीय संस्करण प्रकाशित किया जा रहा है। इसके शेष खण्डों और अन्य अनुपलब्ध शास्त्रों का भी पुनर्मुद्रण हो रहा है। जिनसे समस्त आगमबत्तीसी आगमपाठी महानुभावों को प्राप्त हो सके। समिति की ओर से हम उन सभी महानुभावों का सधन्यवाद आभार मानते हैं, जिनके सहयोग से आगमों के प्रकाशन जैसे महान् कार्य में सफलता प्राप्त कर सके हैं। सागरमल बैताला अध्यक्ष रतनचन्द मोदी कार्याध्यक्ष सरदारमल चोरड़िया महामंत्री ज्ञानचंद विनायकिया मन्त्री श्री आगमप्रकाशन समिति, ब्यावर (राज.)Page Navigation
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