Book Title: Agam 04 Samavao Angsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समवाओ - ५/५ ओ परिणहाओ वेरमणं पंच कामगुणा पत्रत्ता तं जहा-सद्दा रूवा रसा गंधा फासा पंच आसवदारा पत्रत्ता तं जहा- मिच्छत्तं अविरई पमाया कसाया जोगा पंच संवरदारा पन्नत्ता तं जहा-सम्मत्तं विरई अप्पपावा अकसाया अजोगा पंच निजरवाणा पन्नता तं जहा-पाणाइवायाओ वेरमणं मुसावायाओवेरमणं अदिन्नादाणाओवेरमणं मेहुणाओवेरपणं परिग्गहाओ वेरमणं पंच समिईओ पनत्ताओ तं जहा-इरियासपिई भासमिई एसणासमिई आयाणमंडमत्तनिकजेवणासमिई उच्चार-पासवण-खेल-सिंधाण-जल्ल-पारिट्ठावणियसमिई पंच अस्थिकाया पन्नत्ता तं जहा-धमस्थिकाए अधम्मस्टिकाए आगासस्थिकाए जीवस्थिकाए पोग्गलस्थिकाए रोहिणीनक्खत्ते पंचतारे पत्रत्ते पुनव्वसुनक्खत्ते पंचतारे पन्नते हत्यनरखते पंचतारे पत्रत्ते विसाहानक्खत्ते पंचतारे पत्रत्ते घणिहानक्खत्ते पंचातारे पन्नत्ते इमीसे णं रयणप्पभाए पुढीए अत्गइयाणं नेरइयाणं पंच पलिओवमाई टिई पन्नत्ता तच्चाए णं पुढवीए अत्थेगइया नेरइयाणं पंच सागरोवमाई ठिई पत्रता असुरकुमाराणं देवाणं अत्येगइयाणं पंच पलिओयमाई ठिई पत्रत्ता सोहम्मीसाणेसु कप्पसु अत्धेगइयाणं देवाणं पंच पलिओवमाई ठिई पत्रता सणंकुमार-माहिदेसु कप्पेसु अत्धेगइयाणं देवाणं पंच सागरोवमाई ठिई पत्रत्ता जे देवा वायं सुवायं वातावत्तं वातप्पमं वातकंतं वातवण्णं वातलेसं वातज्झयं वातसिंग यातसिटुं वाताई वाउत्तरवडेंसगं सूरं सुसूरं दूरावत्तं सूरप्पमं सूरकंतं सूरवण्णं सूरलेप्तं सूरज्झयं सूरसिंगं सूरसिटुं सूरकूडं सुरुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं पंच सागरोवमाई टिई पन्नत्ता ते णं देवा पंचण्हं अद्धमासाणं आणति वा पाणमंति या ऊससंति वा नीससंति वा तेसि णं देवाणं पंचहिं वाससहस्सेहिं आहारटे समुप्पज्जइ संतगइया भवसिद्धिया जीवा जे पंचहिं मवग्गहणेहिं सिन्झिस्संति बुझिस्संति मुचिस्संति परिनिन्चाइस्संति सव्वदुक्खाणं मंतं करिस्संति 141-5 .पंचमो समवाओ समतो. | छटो-समवाओ (६) छलेसा पनत्ता तं. कण्हलेसा नीललेसा काउलेता तेउलेसा पम्हलेसा सुक्कलेसा छज्जीवनिकाया पन्नत्ता तं जहा-पुढवीकाए आउकाए तेउकाए बाउकाए वणस्सइकाए तसकाए छव्यिहे बाहिरे तवोकम्मे पत्रत्ते तं जहा-अणसणे ओमोदरिया वित्तिसंखेवो रसपरिच्चाओ कायकिलेसो संलीणया छबिहे अदिभतरे तवोकम्मे पत्रत्ते तं जहा-पायच्छितं विणओ देयावनं सज्झाओ झाणं उस्सगो छ छाउमस्थिया समुग्धाया पनत्ता तं जहा चेयणासमुग्धाए कसायसमुग्धाए मारणंतियसमुग्धाए वेउव्वियसमुग्धाए तेयसमुग्धाए आहारसमुग्धाए छविहे अत्युग्गहे पन्नत्ते तं जहा-सोइंदियअत्युग्गहे चक्खिदियअत्थुगहे पाणिदियअत्थुगहे जिभिदियअत्थुग्गहे फासिंदिवअत्युग्गहे नोइंदियअत्थुग्गहे कत्तियानक्खत्ते छतारे पत्रत्ते असिलेसानक्खते छतारे पत्रत्ते ईमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं छ पलिओवमाई टिई पत्नत्ता तबाए णं पुढवीए अत्येगइयाणं नेरइयाणं छ सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं छ पलिओयमाई ठिई पत्रता सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं छ पलिओवमाई ठिई पत्नत्ता सणंकुमार-माहिंदेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं छ सागरोयमाई ठिई पन्नता जे देवा सयं, सयभुरमणं घोसं सुधोसं महाधोसं For Private And Personal Use Only

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