Book Title: Agam 04 Samavao Angsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छट्टो सपवाओ किद्विधोसं वीरं सुवीरं वीरगतं वीरसेणियं वीरावत्तं वीरप्पभं वीरकंतं वीरवण्णं वीरलेसं वीरज्झयं वीरसिगं वीरसिटुं वीरकूडं वीरुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उबवण्णा तेर्सि णं देवाणं उक्कोसेणं छ सागरोवमाई ठिई पनत्ता ते णं देवा छण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा तेसि णं देवाणं छहिं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पजई संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे छहिं भवगाहणेहिं सिन्झिस्संति [बुझिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइसंति ] सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ।६।-6 .छटो समाओ सपत्तो. सत्तमो-समवाओ (७) सत भयट्ठाणा पन्नता जहा-इहलोगभए परलोगभए आदानभए अकम्हाभए आजीवभए मरणभए असिलोगभए सत्त समुग्धाया पत्रता तं.-चेयणासमुग्धाए कसायसमुग्धाए मारणंतियसमुग्धाए वेउन्वियसमुग्धाए तेवसमुग्धाए आहारसमुग्धाए केवनिममुग्धाए सपणे भगवं पहावीरे सत्त रचणीओ उड्ढं रयणीओ उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था सत्त दासहरपव्ववा पन्नता तं जहा-चुलहिमवंते महाहिमवंते निसढे नीलवंते रूपी सिहरी मंदरे सत्त वासा पनत्ता तं जहा-भरहे हेमवते हरिवासे महाविदेहे एमए हेरण्णवते एवए खीणमोहे णं भगवं मोहणिजबजाओ सत्त कम्मपगडीओ बेएई महानरखते सत्ततारे पन्नत्ते अपिआइया सत्त नक्खत्ता पुब्वादारियआ पन्नत्ता महाइया सत्त नखत्ता दाहिणदारिआ पन्नत्ता अणुराहाइया सत्त नक्खत्ता अवरदारिआ पन्नत्ता घणिट्ठाइया सत्त नक्खत्ता उत्तरदारिआ पन्नत्ता इपीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं सत्त पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता तच्चाए णं पुढवीए नेरइयाणं उकूकोसेणं सत सागरोवमाइं ठिई पत्रत्ता चउत्थोए णं पुढवीप नेरइयाणं जहण्णेणं सत्त सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं सत्त पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं सत्त पलिओवमाई टिई पन्नत्ता सणंकुमारे कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाइं ठिई पत्रत्ता माहिंदे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं साइरेगाइं सत्त सागरोवमाई ठिई पन्नता वंभलोए कप्पे देवाणं जहन्नेणं सत्त सागरोवमाई ठिई पन्नता जे देवा समं समप्पभं महापभं पभासं भासुरं विमलं कंचणकूडं सणंकमारवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उकुकोसेणं सत्त सागरोयमाई ठिई पन्नत्ता ते णं देवा सत्तण्हं अद्धमासाणं आणमंति या पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा तेसि णं देवाणं सत्तहिं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पन्नइ संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे सत्तहिं पवागहणेहिं सिन्झिस्संति [बुझिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सब्वदुक्खाण पंतं करिस्संति ७1-7 • सतमो समयाओ समत्तो. अदुमो-सपवाओ । (८) अट्ठ मयट्ठाणा पत्रता तं जहा-जातिमए कुलपए बलमए रूवमए तवमए सुयमए लाभपए इस्सरियमए अट्ठ पवयणमायाओ पनत्ताओ तं जहा-इरियासपिई भासासमिई एसणासमिई आयाण-भंड मत्त-निक्खेवणासमिई उचार-पासवण-खेल-सिंधाणं-जल्ल-पारिट्ठा For Private And Personal Use Only

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