Book Title: Agam 04 Samavao Angsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 59
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समवाओ • पइ.-२२५ हियाणि जिणातिसेसा य बहविसेसा जिणसीसाणं चेव समणगणपवागंधहत्थीणं धिरजसाणं परिसहसेण्ण -रिउ-बल-पमद्दणाणं तव-दित्त-चरित्त-नाम-सम्पत्तासार-विविहप्पगार-विस्थरपसस्थगुण-जोगजुत्ताणं जह य जगहियं भगवओ जारिसा य रिद्धिविसेसा देवासुरपाणुसाणं परिसाणं पाउदभावा य जिणसमीवं जह व उवासंति जिणवरं जह य परिकहेंति धम्म लोगगुरू अमरनासुरगणाणं सोऊण य तस्स भासियं अवसेप्सकम्प-विसयविरत्ता नरा जह अभुति धममुरालं संजमं तवं चावि बहुबिहप्पगारं जह बहूणि वासाणि अनुचरित्ता आराहिय-नाणदसण-चरित-जोगा जिणवयणमणुगव-महिमभासिया जिणवराण हियएणमणुणेत्ता जे य जहिं जत्तियाणि भत्ताणि छेयइत्ता लभ्रूण य समाहिमुत्तमं झाणजोगजुत्ता उववण्णा मुनिवरोतमा जह अनुतरेसु पावंति जह अनुत्तरं ततं विसयसोक्खं तत्तो घ चुया कमेणं काहिंति संजया जह य अंतकिरियं एए अण्णे य एवमाइअस्था वित्थरेणं अनुत्तरोववाइयदसासु णं परित्ता वावणा संखेना अनुओगदारा [संखेनाओ पडिवत्तीओ संखेज्जा वेढा संखेजा सिलोगा संखेजाओ निनुत्तीओ] संखेजाओ संगहणीओ से णं अंगठ्ठयाए नवमे अंगे एगे सुयखंधे दस अन्झवणा तिणि वागा दस उद्देसणकाला दस समुद्देसणकाला संखेवाइं पयसयसहस्साई पयागेणं संखेजाणि अक्खराणि [अनंतागमा अनंतापञ्जया परित्ता तसा अनंता यावरा सासया कडा निबद्ध निकाइया जिनपत्रत्ता भावा आघविनंति पत्रविजंति परविजंति दसिजंति निदंसिर्जति उवदंसिर्जति से एवं आया एवं नाया एवं विण्णाया एवं वरण-करणपरूवणया आघविजंति पण्णविज्ञति जाव उवदंसिजति सेत्तं अनुत्तरोववाइपदसाओ ।१४४ -144 (२२६) से किं तं पण्हायागरणाणि पाहावागरणेसु अगुत्तरं पसिणसयं अद्रुत्तरं अपसिणसयं अदुत्तरं पसिणा पसिणसवं विजाइसवा नागसुवण्णेहिं सद्धि दिव्या संवाया आघविनंति पण्हावागरणदसासु णं ससमय-परसमय-पन्नवय-पत्तेचबुद्ध-विविहत्थ-भासाभासियाणं अतिसय-गुण-उवसप-नाणप्पगार-आयरिव-भासियाणं वित्यरेणं वीरमहेसीहिं विविहवित्थर-भासिवाणं च जगहियाणं अदागंगुठ-बाहु-असि-मणि खोमआतिच्चमातियाणं विविहमहापसिणविजा-मणपसिणविजा-देवय-पओगपहाणं-गुणपणा- सियाणं सटभूयविगुणप्पभाव-नरगणमइ-बिम्हयकारीअणं अतिसयमतीतकालसमए दतिस्थकरुत्तमस्स टितिकरण-कारणाणं दुरहिगम-दुरवगाहरस सव्वसव्वण्णुसम्मवस्स बुहजणविबोहकरस्स पच्चक्खव-पच्चयकराणं पाहाणं विविहगुणमहत्था जिमवरप्पणीया आघविनंति पण्हावागरणेसु णं परित्ता वायणा संखेना अनुओगदारा संखेजाओ पडिबत्तीओ संखेचा वेढा राखेजा सिलोगा संखेचाओ निनुत्तीओ संखेजाओ संमहणीओ से णं अंगठ्ठयाए दसभे अंगे एगे सुवक्खंधे पणयालीसं उद्देसणकाला पणवालीसं समुद्देसणकाला संखेज्ञाणि पचसयसहरसाणि पयागेणं संखेना अक्खरा अनंता गमा अनंता पज्जवा परित्ता तसा अनंता थावरा सासवा कडा निवद्धा निकाइया जिणपन्नता भावा आघविनंति पत्रविनंति परुविनंति दंसिर्जति निदंसिर्जति उबदसिजंति से एवं आया एवं नाया एवं विण्णाया एवं चरण-करणपरूवणया आपविजंति [पत्रविञ्जति परूविनति दंसिजति निदंसिजति उवदंसिञ्जति] सेत्तं पण्हावागरणाई ।१४५) -145 (२२७) से किं तं विवागसुए विवागसुए णं सुक्कडदुक्कडाणं कप्पाणं फलविवागे For Private And Personal Use Only

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