Book Title: Agam 04 Samavao Angsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 65
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समवाओ - पइ.-२४१ पुढवीए बहुसपरमणिज्जओ भूमिभागाओ सत्तनउचाई जोयणसचाई उड्डे उप्पइत्ता एत्थ णं दसुत्तरजोयणसयबाहल्ले तिरियं जोइसविसए जोइसियाणं देवाणं असंखेजा जोइसियविपाणावासा पनत्ता ते णं जोइसियविमाणावासा अभुग्गयमूसिय-पहसिया विविहमणिरयणमत्तिचित्ता वाउछुय-विजय-वेजयंती-पडाग-छत्तातिछत्तकलिया तुंगा गगणतलमणुलिहंतसिहरा जालंतररयण-पंजरुम्मिलितव्य मणि-कणग-धूभियागा विगसित-सयपत्त-पुंडरीयतिलय-रयणड्ढचंद-चित्ता अंतो बहिं च सण्ह तवणिज्न बालुगा-पत्थडा सुहफासा सस्सिरीयरूवा पासाईवा दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा केवइया णं भंते वेमाणियावासा प. गोयमा इसीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ उड्ढे चंदिम-सूरिय-गहगण-नक्खत्ततारारूवाणं वीइवइत्ता बहूणि जोयणाणि बहूणि जोयणसयाणि बहूणि जोयणसहस्साणि बहूणि जोयणसयसहस्साणि बहूओ जोयणकोडीओ बहूओ जोयणकोडाकोडीओ असंखेजाओ जोयणकोडाकोडीओ उड्ढे दूरं वीइवइत्ता एत्य णं वेमाणियाणं देवाणं सोहम्मीसाण-सणंकुमारमाहिंद-वंभ-लंतग-सुक्क-सहस्सार-आणय-पाणय-आराणचुएसु वेजमणुतरेसु य चउरासीई विमाणावाससयसहस्सा सत्ताणउइं सहस्सा तेवीसं च विमाणा भवंतीति मक्खाया ते णं विपाणा अघिमालिप्पभा भासरासिवण्णाभा अरया नीरया निपला वितिमिरा विसद्धा सबरयणामया अच्छा सण्हा लण्हा घट्ठा मट्ठा निप्पंका निककंकडच्छाया सप्पभा समिरीया सउज्जोया पासाईवा दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा सोहम्मे णभंते कप्पे केवइया विमाणवासा पत्रत्ता गोयमा वत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा प. एवं ईसाणइसु-अट्ठावीसं बारस अट्ठ चत्तारि-एवाई सयसहस्साई पन्नासं चत्तालीसं छ-एयाई सहस्साई आणए पाणए वत्तारि आरणच्छुए तिण्णिएयाणि सुयाणि एवं गाहाहिं माणियव्वं- 1१५०|-150 (२४२) बत्तीसठ्ठावीसा बारस अट्ट चउरो सयसहस्सा पण्णा चत्तालीसा छच्च सहस्सा साहस्सारे ||७011-5 (२४३) आणवपाणयकप्पे चत्तारि सयाऽऽरणचुए तित्रि सत्त विमाणसयाई चउसुलवि एएसु कप्पेसु ७१/-6 (२४४) एक्कारसुत्तर हेट्ठिमैसु सत्तुत्तरं च मज्झिमए सबमेगं उवरिमए पंचेच अनुत्तरविमाणा ७२/-7 (२४५) नेरइयाणं भंते केवइयं कालं ठिई पत्रत्ता गोयमा जहणेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई टिई पन्नता अपजत्तगाणं भंते नेरइयाणं केवइयं कालं टिई पन्नत्ता गोयमा जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं पज्जतगाणं भंते नेरइयाणं केवइयं कालं टिई पन्नत्ता गोयमा जहणणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुतूणाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई अंतोमुहत्तूणाई इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए एवं जाय विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियाण मंते देवाणं केवइयं कालं ठिई पत्रत्ता गोयमा जहण्णेणं बत्तीसंसागरोवपाइंउकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई सव्वटे अजहण्णणुककोसेणं तेत्तीसं सागरोवपाई ठिई पन्नता ।१५१ -151 (२४६) कति णं भंते सरीरा पत्रत्ता गोयमा पंच सरीरा पन्नत्ता तं जहा-ओरालिए येउबिए आहारए तेयए कम्मए ओरालियसरीरेणं भंते कइविहे पन्नते गोयमा पंचविहे पनत्ते तं जहा-एगिदियओरालियसरीरे जाव गमवक्कंतियमणुस्सपंचिदियओरालियसरीरे य ओरा For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82